Rashtriya Pioneer Pride: आखिर क्यों रह जाते हैं प्रोजेक्ट अधूरे ? आखिर क्यों रह जाते हैं प्रोजेक्ट अधूरे ? ================================================================================ prashant on 09/09/2017 12:39:00 इंदौर को लेकर सपने दिखाने की आदत कांग्रेस और बीजेपी दोनों में रही है। शहर को कई सौगातें देने की बात कही गई थी जिसमें गांधी हॉल से लेकर मराठी मिडिल स्कूल संकुल को आधुनिक बनाने जैसी बातों से शहरभर को प्रभावित किया गया था। इसे लेकर योजनाओं ने आकार लेना आरंभ किया और कागजों पर बेहतरीन डिजाइनें बनाई गईं,?अखबारों के पन्नों पर भी नजर आया कि अब शहर में ऐसा कुछ नया होने जा रहा है पर हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और अब भी शहर बाट जोह रहा है विकास कार्यों की। इंदौर को लेकर सपने दिखाने की आदत कांग्रेस और बीजेपी दोनों में रही है। सपने दिखाने का मौसम चुनावों के आसपास आता है और इस बार तो ऐसा लग रहा है कि काफी पहले से ही बड़े और छोटे सपने दिखाने की कवायद आरंभ हो गई है। शहर को कई सौगातें देने की बात कही गई थी जिसमें गांधी हॉल से लेकर मराठी मिडिल स्कूल संकुल को आधुनिक बनाने जैसी बातों से शहरभर को प्रभावित किया गया था। इसे लेकर योजनाओं ने आकार लेना आरंभ किया और कागजों पर बेहतरीन डिजाइनें बनाई गईं,?अखबारों के पन्नों पर भी नजर आया कि अब शहर में ऐसा कुछ नया होने जा रहा है पर हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और अब भी शहर बाट जोह रहा है विकास कार्यों की। ऐसे विकास कार्य जिससे शहर में सही मायने में बदलाव दिखे जैसे स्वच्छता का काम हुआ कुछ इस तरह का बड़ा बदलाव करने की जरुरत है। गांधी हॉल, राजवाड़ा, छप्पन दुकान से लेकर शहर की धरोहरों को सहेजने की ज्यादा जरुरत है। क्या गांधी हॉल को ऐसा स्वरुप नहीं दिया जा सकता कि वहां पर इंदौर की गौरवशाली इतिहास की बातों को नुमाया किया जाए और बाहर से लोग आकर इसे देखें। अगर यहां पर कुछ ऐसी बातों का इतिहास रखा जाए जैसे इंदौर और भारतीय क्रिकेट का संबंध या इंदौर में जन्मे सेलिब्रिटिज तब इसका खूब असर पड़ेगा। मैडम तुसाद जैसा कुछ जिसमें इंदौर में जन्मे या इंदौर से जुड़े लोगो के बारे में जानकारियां जुटाई जाकार सहज सरल शब्दों में गांधी हॉल में लगाया जाए और तब इंदौर में लालबाग के अलावा भी कोई जगह विकसित हो सकेगी जहां पर बाहर से आए लोग आ सकते हैं तथा इंदौर को अच्छी तरह से जान सकेंगे। परंतु यह सब कुछ सपने ही रह जाते हैं। शहर को सपने दिखाकर वोट बंटोरने में इन राजनीतिज्ञों को बड़ा मजा आता है पर यह जनता है इसे भी हर पांच वर्षों में वोट देकर हटाना भी आता है।