Rashtriya Pioneer Pride: अवैध कॉलोनियों में भी इंदौर नंबर वन अवैध कॉलोनियों में भी इंदौर नंबर वन ================================================================================ prashant on 15/10/2017 18:10:00 सफाई में नंबर वन बना इंदौर अवैध कॉलोनियों के मामले में भी पूरे प्रदेश में नंबर वन है। पहले 434 अवैध कॉलोनियां थीं और अब उनकी संख्या 507 हो गई है लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन द्वारा इन्हें वैध करने और नई अवैध कॉलोनियों को बसने से रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। इन कॉलोनियों को वैध करने के लिए हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाल ही में कोर्ट ने नगर निगम को निर्देश दिए हैं कि कानून की सीमा में रहते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाए। 6 माह में कार्रवाई पूरी कर रिपोर्ट पेश की जाए। कोर्ट मई-2018 में इस मामले में दोबारा सुनवाई करेगी। इंदौर। सफाई में नंबर वन बना इंदौर अवैध कॉलोनियों के मामले में भी पूरे प्रदेश में नंबर वन है। पहले 434 अवैध कॉलोनियां थीं और अब उनकी संख्या 507 हो गई है लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन द्वारा इन्हें वैध करने और नई अवैध कॉलोनियों को बसने से रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। विधानसभा चुनाव में जनप्रतिनिधियों से रहवासी यह सवाल जरूर करेंगे कि पिछले चुनाव में की गई घोषणा के बावजूद अब तक कॉलोनयों को वैध करने की कार्रवाई क्यों नहीं हो पाई। रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग सपरिवार इंदौर पहुंच रहे हैं। इनमें से क३ लोग इतने सक्षम नहीं होते हैं कि वैध कॉलोनियों में मकान खरीद सकें अथवा किराए पर ले सकें। इस स्थिति में शहर की अवैध कॉलोनियों में ही ये परिवार अपना नया ठिकाना खोजते हैं। अधिकारियों की मेहरबानी से शहर में नई-नई अवैध कॉलोनियों बसती जा रही हैं। शासन कई बार इन्हें वैध करने के लिए आदेश जारी कर चुका है लेकिन ये आदेश भोपाल तक ही सीमित रह जाते हैं। न तो इंदौर और न ही अन्य जिलों में नियमितीकरण की प्रक्रिया की शुरूआत हो पाई है। इंदौर में 29 गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल करने के बाद अवैध कॉलेनियों की संख्या 434 से बढ़ कर 507 हो चुकी है। यदि नए सिरे से पूरे शहर का सर्वे कराया जाए तो यह संख्या 600 तक भी पहुंच सकती है। 2016 तक की कॉलोनियों को वैध करने के आदेश शासन, प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों द्वारा हर वर्ष निर्देश जारी किए जाते हैं कि अवैध कॉलोनियों को बसने से रोका जाए और जो अवैध कॉलोनियां बस चुकी हैं उन्हें वैध करने की प्रक्रिया शुरू की जाए लेकिन प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है जबकि वैध करने की प्रक्रिया शुरू करने से शासन और नगर निगम की आय में वृद्धि होगी। इस प्रक्रिया में नगर निगम को हर मकान मालिक से विकास शुल्क मिलेगा। मकान की रजिस्ट्री होने पर शासन को भी पंजीयन और स्टाम्प शुल्क मिलेगा। अवैध कॉलोनियों के रहवासियों को बेसब्री से इंतजार है कि प्रक्रिया शुरू हो और मकान की रजिस्ट्री हो सके ताकि उन्हें असल में मालिकाना हक मिल सके। साथ ही वे बैंक से लोन लेने के लिए भी पात्र हो जाएं। इंदौर में वर्तमान में अधिकारियों के हाथों में कमान है और जनप्रतिनिधि मौन साधे हैं। अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होना है और अवैध बस्तियों के रहवासियों को जवाब तो जनप्रतिनिधियों को ही देना पड़ेगा। रहवासियों को उम्मीद है कि अगले विधानसभा चुनाव के बाद ही ऐसी कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया शुरू होगी। पिछले विधानसभा चुनाव के समय भी शासन ने रहवासियों को कॉलोनियां वैध करने का सपना दिखाया था। कोर्ट ने दिया है 6 माह का समय इन कॉलोनियों को वैध करने के लिए हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाल ही में कोर्ट ने नगर निगम को निर्देश दिए हैं कि कानून की सीमा में रहते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाए। 6 माह में कार्रवाई पूरी कर रिपोर्ट पेश की जाए। कोर्ट मई-2018 में इस मामले में दोबारा सुनवाई करेगी।