Rashtriya Pioneer Pride: राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं, मारपीट कांड के बाद भाजपा के भीतर सन्नाटा राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं, मारपीट कांड के बाद भाजपा के भीतर सन्नाटा ================================================================================ prashant on 14/11/2017 11:09:00 राजनीति में अपने आप को ऊपर ले जाने के लिए किसी भी हद तक लोग जा सकते हैं और नेता तो जाते ही हैं। दशहरा मैदान मारपीट कांड के बाद यह कहा जा रहा है कि बात दिल्ली तक पहुंच गई है और बहुत सारी बाते हो रही हैं। इस संपूर्ण मामले को लेकर भाजपा संगठन क्या करता है इसे लेकर चचाएं हैं। चित्रकुट की हार और उसके बाद बने माहौल को ध्यान में रखते हुए अब भाजपा संगठन को शहर में भाजपा कार्यकर्ताओं के मन की बात को रखना होगा और इस बात का ध्यान रखना होगा कि भविष्य में इस प्रकार की स्थितियां उत्पन्न न हों। इंदौर। राजनीति में अपने आप को ऊपर ले जाने के लिए किसी भी हद तक लोग जा सकते हैं और नेता तो जाते ही हैं। दशहरा मैदान मारपीट कांड के बाद यह कहा जा रहा है कि बात दिल्ली तक पहुंच गई है और बहुत सारी बाते हो रही हैं। इन सभी बातों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार चौहान के सामने सब कुछ हुआ याने अनुशासन नाम की कोई बात ही नहीं रही। उद्योगपति हेमंत नीमा के साथ जो व्यवहार किया गया वह किसी भी धार्मिक आयोजन स्थल पर नहीं होना चाहिए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोनों के बीच कहासुनी हुई और इसमें कई ऐसी बातें भी थीं जो भाजपा शहर अध्यक्ष कैलाश शर्मा को चुभ गईं। ऐसी कौन सी बातें थीं जिसके कारण कैलाश शर्मा का पारा एकदम आसमान पर पहुंच गया और प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार चौहान के सामने लोगों ने नीमा के साथ न केवल झूमाझटकी की बल्कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मारा भी गया है जिसमें यह कह कर मारा कि आपने हमारे शहर अध्यक्ष का अपमान किया है। यह अजीब है जब प्रदेश अध्यक्ष स्वयं खड़े हैं तब शहर अध्यक्ष का अपमान होने के बाद उसका बदला भी लिया जा रहा है। इतना ही नहीं सीएचएल अस्पताल में स्थितियां और भी खतरनाक हो गई थीं जब स्वयं प्रदेश अध्यक्ष को कई लोगों को फोन लगाने पड़े तब जाकर कार्यकर्ता वहां से हटे। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की इतनी धमक भी नहीं कि उनके सामने ही इस प्रकार की बातें हों और वे कुछ भी नहीं कर पाएं। क्या प्रदेशारध्यक्ष अब भी विचार मंथन ही कर रहे हैं? इस घटना एक पहलू यह भी है कि अमूमन शांत स्वभाव वाले कैलाश शर्मा को ऐसा क्यों करना पड़ा? क्या हेमंत नीमा ने कैलाश शर्मा की दुखती रग पर हाथ रख दिया था? क्या हेमंत नीमा का प्रदेशाध्यक्ष के साथ मेलजोल बढ़ाना कैलाश शर्मा को अखरता था? वैसे भी राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं। अगर कोई यह समझता है कि वह दो नंबर का खास है या चार का या फिर खुद की बातें करता रहे तब वह गलत है। वैसे कैलाश शर्मा और मधु वर्मा की दोस्ती की बातें भी बहुत हो रही हैं। यह अलग ही समीकरण बन रहा है और अगर बन रहा है तब इसकी जानकारी भी संगठन को होगी ही। विधायक रमेश मेंदोला की भूमिका इस संपूर्ण प्रकरण में रमेश मेंदोला की भूमिका को लेकर यह कहा जा सकता है कि उन्होंने आयोजन स्थल पर दोनों के बीच कहासुनी हुई तभी से मामले को रोकने का प्रयत्न जरुर किया परंतु हेमंत नीमा ने कैलाश शर्मा को भड़काने की कोई कसर नहीं छोड़ी जिसके बाद मारपीट तक की नौबत आ गई। इतना ही नहीं रमेश मेंदोला देर रात तक मामला और न बढ़ जाए इस पर नजर रखे हुए थे। अब संगठन क्या करेगा ? इस संपूर्ण मामले को लेकर भाजपा संगठन क्या करता है इसे लेकर चचाएं हैं। चित्रकुट की हार और उसके बाद बने माहौल को ध्यान में रखते हुए अब भाजपा संगठन को शहर में भाजपा कार्यकर्ताओं के मन की बात को रखना होगा और इस बात का ध्यान रखना होगा कि भविष्य में इस प्रकार की स्थितियां उत्पन्न न हों।