Rashtriya Pioneer Pride: भाजपा में अब नगर अध्यक्ष निशाने पर भाजपा में अब नगर अध्यक्ष निशाने पर ================================================================================ prashant on 15/11/2017 10:28:00 दशहरा मैदान पर महायज्ञ के समापन अवसर पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमारसिंह चौहान के सामने शुरू हुआ विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। भाजपा के दोनों गुटों में जिस तरह से तनाव दिखाई दे रहा है उससे लगता है कि एक बार फिर समर्थक आमने-सामने हो सकते हैं। उधर विवाद के बाद भाजपा के नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा के विरोधी नेता सक्रिय हो गए हैं। वरिष्ठ नेताओं तक उनके विरुद्ध शिकायतों का दौर शुरू हो चुका है। विरोधियों द्वारा कोशिश की जा रही है कि इस विवाद के आधार पर नगर अध्यक्ष को हटाने की मुहिम इस तरह चलाई जाए कि मंसूबे सफल हो जाएं। इंदौर। दशहरा मैदान पर महायज्ञ के समापन अवसर पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमारसिंह चौहान के सामने शुरू हुआ विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। भाजपा के दोनों गुटों में जिस तरह से तनाव दिखाई दे रहा है उससे लगता है कि एक बार फिर समर्थक आमने-सामने हो सकते हैं। उधर विवाद के बाद भाजपा के नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा के विरोधी नेता सक्रिय हो गए हैं। वरिष्ठ नेताओं तक उनके विरुद्ध शिकायतों का दौर शुरू हो चुका है। विरोधियों द्वारा कोशिश की जा रही है कि इस विवाद के आधार पर नगर अध्यक्ष को हटाने की मुहिम इस तरह चलाई जाए कि मंसूबे सफल हो जाएं। दशहरा मैदान पर महायज्ञ के समापन के दौरान उद्योगपति व भाजपा नगर कार्यकारिणी के सदस्य हेमंत नीमा और नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा के बीच जमकर विवाद हुआ था। वहां मौजूद नेताओं का कहना है कि दोनों पक्षों में झूमाझटकी और मारपीट भी हुई थी। इस दौरान वहां भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमारसिंह चौहान भी मौजूद थे। विवाद बढ़ता देख चौहान ने नीमा को अपनी कार में बैठाया और वहां से रवाना हो गए। नगर अध्यक्ष के समर्थकों को इसकी जानकारी मिली तो वे नीमा को ढूंढते हुए उस निजी अस्पताल तक जा पहुंचे जहां चौहान गए थे। समर्थकों ने वहां भी नीमा से मारपीट की। पूरी घटना प्रदेशाध्यक्ष के सामने हुई इस कारण अब गवाह और सबूतों की जरूरत ही नहीं है। भाजपा अध्यक्ष के सामने घटना होने से मामला गंभीर हो चुका है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा के विरोधी नेता सक्रिय हो गए हैं। भाजपा संगठन के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों तक इस बात की शिकायतें पहुंच चुकी हैं। विरोधी गुट ने आरोप लगाए हैं कि नगर अध्यक्ष स्थानीय नेताओं की बात तक नहीं सुनते हैं। वे कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं देते हैं। कुछ चुनिंदा नेताओं की बात ही सुनी जाती है। क्षेत्र क्रमांक तीन और चार पर ही वे विशेष रूप से ध्यान दे रहे हैं। इन क्षेत्रों में कई नेताओं को पद दिए गए हैं जो सक्रिय नहीं हैं। विरोधी गुट के नेताओं का यह भी कहना है कि नगर अध्यक्ष तीन अथवा चार नंबर विधानसभा क्षेत्र से अगले चुनाव में दावेदारी की कोशिश करने वाले हैं इस कारण उन्होंने पूरा ध्यान इन्हीं क्षेत्रों पर केंद्रित किया है। अन्य कई आरोप भी लगाए गए हैं और लगाए जा रहे हैं। उधर वरिष्ठ नेताओं के कहना है कि फिलहाल पार्टी मामले को ठंडा करने में लगी है। पार्टी को मुंगावली उपचुनाव का सामना करना है। चुनाव के बाद ही इस विवाद के बारे में कोई निर्णय लिया जाए लेकिन विरोधी गुट जल्दी निर्णय चाहता है और उतना दबाव बना भी दया गया है। कैलाश शर्मा समर्थक भी सक्रिय हो गए हैं और भोपाल से लेकर दिल्ली तक उनके समर्थक अपना पक्ष रख अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल दो नंबर के विधायक रमेश मेंदोला ने हेमंत नीमा गुट को शांत करने के लिए कमान संभाल रखी है। वे नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा के संपर्क में भी हैं। जो कुछ हुआ उससे यह तय हो गया है कि कांग्रेस की तर्ज पर भाजपा में हुए इस विवाद की आग आसानी से बुझने वाली नहीं है। यदि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इंदौर में गुटबाजी को शीघ्र ही नहीं रोका तो आने वाले दिनों में ऐसे नजारे और भी देखने को मिल सकते हैं। अलग-अलग गुटों में बंट चुकी भाजपा में सभी गुट एक-दूसरे के खिलाफ व्यूह रचना में लगे रहते हैं लेकिन प्रदेश स्तर के नेता इस गुटबाजी को पिछले कई वर्षों में खत्म नहीं कर पाए और अब तो इंदौर में जो कुछ चल रह है उससे उन्होंने अपना ध्यान ही हटा लिया है। इसी का नतीजा है कि यहां पार्टी एकजुट नहीं हो पा रही है।