Rashtriya Pioneer Pride: इंदौर की दो नदियों के बारे में भोपाल में आज सुनवाई इंदौर की दो नदियों के बारे में भोपाल में आज सुनवाई ================================================================================ Dilip Thakur on 06/12/2017 10:28:00 कान्ह और सरस्वती नदी की सफाई प्रशासन, नगर निगम और आईडीए द्वारा नहीं किए जाने के मामले में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) भोपाल के समक्ष बुधवार को सुनवाई होगी। सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दायर याचिका पर एनजीटी द्वारा सुनवाई की जा रही है। इसके बावजूद दोनों नदियों की सफाई का कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है। इंदौर। बुधवार को भोपाल में एनजीटी कोर्ट में एक बार फिर शहर की दो प्राचीन नदी कान्ह और सरस्वती के मामले में सुनवाई होगी। इस बार याचिकाकर्ता द्वारा सभी तथ्यों को रखा जाने वाला है। जानकारी के मुताबिक वैसे तो एनजीटी के निर्देश पर जिला प्रशासन के साथ नगर निगम अधिकारियों को इन दोनों ही नदियों का सीमांकन करना चाहिए था लेकिन अधिकारियों ने मामले में रुचि नहीं ली थी। इसी कारण अब तक दोनों ही नदी के सिर्फ निरीक्षण की ही रिपोर्ट तैयार हुई है। अधिकारियों के इस रवैये से खफा होकर याचिकाकर्ता किशोर कोडवानी पेशी के दौरान वे सभी तथ्य कोर्ट के समक्ष रखेंगे जो कि अधिकारियों की लापरवाही को उजागर करेंगे। इसके साथ ही उनके द्वारा मामले में पिछली पेशी के दौरान अधिकारियों की ओर से जो जवाब पेश किया गया था। उस पर बहस भी की जाएगी। ज्ञात रहे कि मामले में बुधवार को प्रमुख सचिव को भी जवाब देने के लिए बुलाया गया है। पिछली पेशी के समय प्रमुख सचिव नहीं आए थे। इसी कारण बहस नहीं हो पाई थी। उनके स्थान पर निगमायुक्त मनीषसिंह उपस्थित हुए थे। कोर्ट ने निगमायुक्त सिंह को सुनने से इंकार कर दिया था। आइडीए नहीं कर सका काम इधर जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण दोनों ही नदियों के शुद्धिकरण के मामले में इंदौर विकास प्राधिकरण भी काम नहीं कर सका है। जबकि गत दिनों आइडीए के सीईओ गौतमसिंह ने याचिकाकर्ता के साथ दौरा कर निर्णय लिया था कि शुद्धिकरण के साथ ही कायाकल्प का काम आइडीए करेगा। 8 दिन का समय मांगा और फिर मना किया कलेक्टर निशांत वरवड़े ने एनजीटी के निर्देश पर 8 दिन में सीमांकन करने का आश्वासन दिया था और अधिकारियों को जवाबदारी सौंपी थी। आलम यह रहा कि कलेक्टर के आदेश का पहले तो पालन हुआ नहीं और अब प्रभारी कलेक्टर ने सीमांकन करने से ही मना कर दिया। उनका कहना है कि एनजीटी से आदेश मिलने पर ही हम आगे की रुपरेखा तय करेंगे।