Rashtriya Pioneer Pride: कभी सिक्युरिटी गार्ड थे और अब आईएएस अधिकारी कभी सिक्युरिटी गार्ड थे और अब आईएएस अधिकारी ================================================================================ Dilip Thakur on 04/07/2019 13:19:00 न्यूज पेपर्स पढ़ने के लिए हेअर कटिंग की दुकान पर जाते थे पन्ना (मध्यप्रदेश)। हीरों की खदानों के लिए मशहूर मध्यप्रदेश के जिले पन्ना में इन दिनों एक नायाब हीरे की चर्चा आम लोगों की जुुबान पर है। जिला पंचायत के नए सीईओ (मुख्य कार्यपालन अधिकारी) बालागुरु को लोगों ने नायाब हीरा माना है। युवा वर्ग भी इस नायाब हीरे की तरह मेहनत कर बड़ा मुकाम हासिल करने का संकल्प ले रहा है। इकतीस वर्षीय सीईओ बालागुरु युवा आईएएस अधिकारी हैं। वर्ष-2014 में वे आईएएस अधिकारी बने। उन्हें लोग नायाब हीरा इसलिए मानते हैं क्योंकि वे जिन परिस्थितियों में पढ़ कर इस ओहदे तक पहुंचे हैं वह आसान काम नहीं है। उनके सीईओ बनने के बाद पन्ना में जिला पंचायत के कामकाज में भी परिवर्तन नजर आने लगा है। बालागुरु के पिता कुमारसामी खेतिहर मजदूर थे और माँ मवेशियों को पालती थी ताकि घर खर्च के लिए कुछ रुपए जुटाए जा सकें। इन परिस्थितियों में भी बालागुरु ने बहुत ऊँचा सपना देखा। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने सरकारी स्कूल से शिक्षा हासिल करने के बाद 4 हजार रुपए प्रतिमाह के वेतन पर एक अस्पताल में सुरक्षा गार्ड की नौकरी की। नाइट शिफ्ट में नौकरी करते हुए उन्होंने पत्राचार पाठ्यक्रम से ग्रेजुएशन पूरा किया। इसी दौरान उन्होंने पैसे बचाते हुए माता-पिता को सहयोग किया और अपनी बहन जानकी का विवाह भी कराया। यूपीएससी की तैयारी करने के दौरान उनके पास न्यूज पेपर्स खरीदने के लिए पैसे तक नहीं थे। न्यूज पेपर्स पढ़ने के लिए वे हेअर कटिंग की दुकान पर जाते थे। इसके बाद उन्होंने चेन्नई की लाइब्रेरी में जाकर पढ़ाई की। वहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे कई युवाओं से उनका परिचय हुआ। यूपीएससी की परीक्षा में वे तीन बार असफल हुए लेकिन चौथी बार सफलता मिल ही गई। उनकी सफलता से पूरे परिवार का माहौल ही बदल गया। बालागुरु अपनी सफलता का श्रेय माँ को देते हैं। आईएएस अधिकारी बनने के बाद से जहां भी पोंिस्ंटग होती है वे माता-पिता को अपने साथ ले जाते हैं।