Rashtriya Pioneer Pride: शानदार निर्देशन...सधा हुआ अभिनय शानदार निर्देशन...सधा हुआ अभिनय ================================================================================ Dilip Thakur on 07/08/2018 14:29:00 सानंद मराठी नाट्य स्पर्धा में नाटक कॉल मी कॅप्टन राबर्ट की प्रस्तुति अनुराग तागड़े इंदौर। युद्ध की पृष्ठभूमि पर नाटकों का मंचन करना अपने आप में बड़ी मेहनत का कार्य है और वो भी द्वितीय विश्व युद्ध के समय की बात हो तब पटकथा के अनुरुप नेपथ्य से लेकर रंगभूषा और वेषभूषा का खासा ख्याल रखना पड़ता है। सानंद मराठी नाट्य स्पर्धा के दूसरे दिन वेल एन वेल कल्चरल सोसायटी द्वारा प्रस्तुत नाटक कॉल मी कॅप्टन राबर्ट ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी। शरद जोशी लिखित इस नाटक में ब्रिटेन और जर्मनी के बीच चले द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान के समय को बताया गया है। अनुभवी रंगकर्मी श्रीकांत भोगले और उनकी संपूर्ण टीम ने बडी मेहनत के साथ नाटक की प्रस्तुति दी। कहानी: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन जर्मनी को किस तरह से परास्त किया जाए इसे लेकर योजना बनाता है। इस योजना का नाम ग्रीन अॉपरेशन रखा जाता है। ब्रिटेन की योजना रहती है कि जर्मनी के सैनिकों की रसद बंद करना ताकि ब्रिटेन अटलांटिंक वॉल को समाप्त कर आगे बढ़ सकता है और जर्मनी पर आक्रमण कर सकता है। इस संपूर्ण मिशन की जिम्मेदारी केप्टन राबर्ट पर रहती है। केप्टन राबर्ट इस योजना को आगे बढ़ाते है और उनका ध्येय यह रहता है कि वे हॉलैंड देश के माध्यम से रसद को बंद करवा दे परंतु वे जर्मन सैनिकों के हाथ लग जाते है। दुश्मन की सेना के हाथो पकड़े जाने के बाद केप्टन रॉबर्ट से पूछताछ की जाती है और उनसे संपूर्ण मिशन के बारे में जानकारी निकलवाई जाती है और इसके लिए कई तरीके अपनाए जाते है। इसमें सबसे खास बात यह है कि जितने भी सैनिक पकड़े जाते है वे सभी यही कहते है कि वे ही कैप्टन राबर्ट है। इससे जर्मन सैन्य अधिकारी भी गड़बड़ा जाते है कि आखिर पकड़े गए सैनिकों में से कैप्टन राबर्ट कौन है? पकड़े गए सैनिकों पर अलग अलग तरह से टार्चर किया जाता है और एक के बाद एक सच्चाई सामने आने लगती है। निर्देशन: श्रीकांत भोगले ने अभिनय के साथ निर्देशन में कसावट बनाए रखी और जिस प्रकार से नाटक की कहानी की जरुरत थी उसके मुताबिक सभी बातों का ध्यान रखा। बात संगीत की हो या फिर नेपथ्य की सभी दूर श्रीकांत जी की पारखी नजर थी इस बात का एहसास साफ हो रहा था। संगीत रेखा देशपांडे का था वही नेपथ्य गिरीश देशपांडे का था। प्रकाश योजना आकाश कस्तुरे,रंगभूषा मंजूश्री भोगले प्रसन्ना आठले,नवीन सुपेकर की थी वही वेशभूषा हिमांशु पंडित की थी। अभिनय: जर्मन सैन्य अधिकारी के रुप में श्रीकांत भोगले ने अपने किरदार के अनुरुप बेहद संजीदा तरीके से अभिनय किया। वही कैदी बने शुभम लोकरे,गौरव चैतन्य,करण भोगले, तुषार धर्माधिकारी,विवेक तांबे ने अपनी उपस्थिति अच्छी तरह से दर्ज करवाई। डॉक्टर के रुप में संजीव दिघे ने अपनी अलग छाप छोड़ी। ...................