Rashtriya Pioneer Pride: कृष्णछाया: आधुनिकता की दौड़ के साथ संस्कारों की खोज कृष्णछाया: आधुनिकता की दौड़ के साथ संस्कारों की खोज ================================================================================ Dilip Thakur on 07/08/2018 14:30:00 सानंद मराठी नाट्यस्पर्धा में नाटक कृष्णछाया की प्रस्तुति अनुराग तागड़े इंदौर। हम की जगह मैं की संस्कृति परिवारों में आम होती जा रही है...परिवार के सदस्य अपने आप को अलग ज्यादा मानते है और वार त्यौहारों पर ही परिवार नामक संस्था का परिचय हो पाता है। आधुनिकता की छाया सभी पर इतनी छा चुकी है कि ऐसे में संस्कारों की बात बेमानी सी लगने लगती है। परंतु इसके बाद भी अपने बच्चों को पुन: संस्कारों के साथ मुख्यधारा में लाना बड़े हिम्मत और धैर्य का कार्य होता है। सानंद के मंच पर यूसीसी अॉडिटोरियम में मराठी नाट्य स्पर्धा में संस्था प्रयास ने नाटक कृष्णछाया की प्रस्तुति दी। कहानी: ज्यादा लाड प्यार से बिगड़ी लड़की अपने मनमर्जी से शादी करती है और कुछ दिनों बाद ही अपने पति की हत्या कर वापस अपने घर आ जाती है। अपनी लड़की के इस प्रकार के व्यवहार के कारण पिता को सदमा लगता है और पिता की मृत्यु हो जाती है। मां अपनी दोनों लड़कियों के साथ घर में ही रहती है छोटी बेटी को वह खूब चाहती है और अपने पति की हत्या करने के बाद भी घर में रह रही बड़ी बेटी बार बार मां को यही कहती रहती है कि बचपन से आप छोटी को ज्यादा चाहते है। बड़ी बेटी की सोच यह रहती है कि पिता की जायदाद प्राप्त करने के लिए मां और छोटी बहन को खत्म करने की सोच भी रखती है। निर्देशन: मुकुंद तेलंग ने शानदार निर्देशन किया है। उन्होंने कहानी के अनुरुप पात्रों का चयन बेहद अच्छा किया था। नेपथ्य सुषमा अवधुत का था जो सुंदर बन पड़ा था इसके अलावा प्रकाश योजना भी नाटक के अनुरुप थी। नाटक दर्शकों को बांधने में काफी हद तक सफल रहा। अभिनय: नाटक में रेणुका पिंगळे ने बिगडैल लड़की का अभिनय किया है और उनके अभिनय में अब अनुभव की छाप नजर आने लगी है। उन्होंने संपूर्ण नाटक को बांधे रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मां की भूमिका में वैशाली पिंगळे ने किरदार के साथ न्याय किया। नाटक का लेखन भी वैशाली जी ने किया है। वही दिपांश पुराणिक, वसंत साठे,माधव लळित, सोनाक्षी पाठक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।