Rashtriya Pioneer Pride: समझौते के बावजूद रोहिंग्या मुसलमानों का बांग्लादेश आना जारी समझौते के बावजूद रोहिंग्या मुसलमानों का बांग्लादेश आना जारी ================================================================================ Anurag Tagde on 28/11/2017 10:45:00 रोहिंग्या संकट पर अपनी ताजा रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि समझौते के बाद से कम से कम 3,000 शरणार्थी बांग्लादेश सीमा में दाखिल हुए हैं। अगस्त से लेकर अब तक करीब 624,000 रोहिंग्या मुसलमानों ने सैन्य कार्रवाई के कारण पलायन किया है हजारों विस्थापित रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश सीमा से वापस भेजने के लिए म्यांमार के साथ हुए एक समझौते के बाद भी रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश जा रहे है। पूर्व में की गई व्यवस्था से दक्षिण-पूर्वी बांग्लादेश के भीड़भाड़ वाले शिविरों में रह रहे कम से कम 700,000 रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार वापस भेजने की संभावनाएं जगी थीं। लेकिन रोहिंग्या संकट पर अपनी ताजा रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि समझौते के बाद से कम से कम 3,000 शरणार्थी बांग्लादेश सीमा में दाखिल हुए हैं। अगस्त से लेकर अब तक करीब 624,000 रोहिंग्या मुसलमानों ने सैन्य कार्रवाई के कारण पलायन किया है। संयुक्त राष्ट्र एवं अमेरिका के अधिकारियों ने इसे जातीय जनसंहार करार दिया है। शरणार्थियों को वापस भेजे जाने का समझौता अक्तूबर 2016 के बाद म्यांमार से भागकर बांग्लादेश आए मुसलमानों पर लागू होता है। यह समझौता उन दो लाख रोहिंग्या मुसलमानों पर लागू नहीं होता जो इस तारीख से पहले से बांग्लादेश में रह रहे हैं। इससे पहले मानवाधिकारों की रक्षा से संबंधित कार्य से जुड़ा संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी के लिए म्यांमार और बांग्लादेश के बीच समझौते को 'हास्यास्पद' बताते हुए इसे खारिज कर दिया था। बांग्लादेश और म्यांमार ने एक आशय ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत बलवाई समूह के हमले और म्यांमारी सेना की ओर से जवाबी कार्रवाई के बाद 25 अगस्त से म्यांमार से विस्थापित हुए लोगों की वापसी का रास्ता खुलता है। म्यांमार की स्टेट काउंसलर और नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की के कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि ज्ञापन में राखिने से विस्थापित लोगों की विधिवत जांच व उनकी वापसी के लिए आम मार्गदर्शक सिद्धांत व नीतियों की व्यवस्था शामिल है।