Rashtriya Pioneer Pride: भोर की सुनहरी किरणों सी निरागस नृत्य प्रस्तुति -अमृत गाथा और फुट प्र्रिट ने मन मोह लिया भोर की सुनहरी किरणों सी निरागस नृत्य प्रस्तुति -अमृत गाथा और फुट प्र्रिट ने मन मोह लिया ================================================================================ prashant on 21/10/2017 18:51:00 सानंद दिवाळी प्रभात में यूसीसी आॅडिटोरियम में शर्वरी जेमेनीस ने नृत्य प्रस्तुति के माध्यम में असल कथक क्या होता है और किस तरह से आध्यात्मिक पुट उसमें आया और किस तरह भक्ति और कथक का जुड़ाव है और साथ ही फिल्म और कथक को आपस में गुंथकर एक बेहतरीन कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। इंदौर। यह शुद्ध कथक से लेकर आध्यात्म में पगे बोल और फिल्मों में प्रस्तुत नृत्यों का ऐसा समावेश था जिसमें नृत्य प्राधान्य था। नृत्य जो सभी को आंदोलित करे प्रभावित करते और दिल को छू जाए। सानंद दिवाळी प्रभात में यूसीसी आॅडिटोरियम में शर्वरी जेमेनीस ने नृत्य प्रस्तुति के माध्यम में असल कथक क्या होता है और किस तरह से आध्यात्मिक पुट उसमें आया और किस तरह भक्ति और कथक का जुड़ाव है और साथ ही फिल्म और कथक को आपस में गुंथकर एक बेहतरीन कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। शर्वरी अपने दल के साथ पुणे से प्रस्तुति देने आई थीं और उन्होंने काफी सहज ढंग से अपनी प्रस्तुतियां दीं। शर्वरी जमेनीस के कथक के बारे में यह कहा जा सकता है कि न केवल भाव पक्ष बल्कि वे ताल पक्ष से लेकर कवित्त और पढ़न्त सभी भागों में सिद्धहस्त हैं और दर्शकों को अपने साथ में किस तरह लाया जाए यह कला उन्हें बेहतरीन तरीके से आती है। दरअसल कलाकार सभी होते हैं पर अपना सबसे बेहतरीन पैकेजिंग कर दर्शकों के सम्मुख जो प्रस्तुत करों वही शानदार प्रस्तुतकर्ता होता है। शर्वरी ने शानदार ध्वनि व प्रकाश व्यवस्था के साथ मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियां दीं। पसायदान से नवरंग तक कार्यक्रम का आरंभ आध्यात्म के रंग में रंगा था और यह लाजमी भी था क्योंकि भोर की सुनहरी किरणों में निहित निरागसता परमपिता परमेश्वर का जैसे संदेश थी और उसी अनुरुप संत ज्ञानेश्वर के पसायदान को देखना अपने आप में शानदार अनुभव था। कार्यक्रम में निरंतरता थी और इसके लिए निवेदिका मधुराणी प्रभुळकर को संपूर्ण श्रेय जाता है जिन्होंने कार्यक्रम के अनुकूल कविताओं और छोटे किस्सों को सुनाकर कार्यक्रम में अलग ही रंग भर दिया। कार्यक्रम के दूसरे भाग में राधा और कृष्ण पर आधारित फिल्म गीतों पर प्रस्तुतियों ने मन मोह लिया। मोहे पनघट पर छेड़ गयो से लेकर काहे छेड़ो मोहे तक की प्रस्तुति में भावपक्ष शानदार रहा। बाजीराव मस्तानी के गीत के साथ ही तारी दे दे तारी की प्रस्तुति बेहतरीन रही। नवरंग फिल्म के गीत जा रे नटखट की प्रस्तुति ने शर्वरी जमेनीस की वसेर्टाईलिटी को दर्शा दिया। उन्होंने मुखौटा भी पहना था और नृत्य की प्रस्तुति इतनी सुंदर रही कि दर्शक देर तक ताली बजाते रहे। इसके पश्चात पडन्त की प्रस्तुति दी और सबसे महत्वपूर्ण बैठी ठुमरी की प्रस्तुति दी। दरअसल यह बैठकर ही प्रस्तुति दी जाती है जिसमें हाथ और मुख का ही प्रयोग होता है। इसमें नहीं आए घनश्याम की प्रस्तुति के बाद रैना बीती जाए पर बैठक की प्रस्तुति ने सही मायने में मन मोह लिया। इसके बाद कथक के इतिहास से लेकर किस प्रकार मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक कथक ने संघर्ष किया इस पर भी जानकारी दी गई। इसके बाद फिल्मों में किस प्रकार से मुजरा आया यह बताया गया। फिर प्यार किया तो डरना क्या...इन्हीं लोगों ने, दिल चीज क्या है आप और निगाहें मिलाने को दिल चाहता है कि प्रस्तुतियां दीं। बेहतरीन वेशभूषा और प्रकाश योजना ने दर्शकों को सम्मोहित कर दिया और अंत में तत्कार के माध्यम से कार्यक्रम का समापन किया जिसमें दर्शकों ने भी तालियां बजाकर कलाकारों का साथ दिया। नृत्यांगना शर्वरी जमेनीस के साथ अन्य कलाकार थे मुग्धा तिवारी, भार्गवी देशमुख, सलोनी कबाड़े, अमेय यलांडे, शिवांगी मेंढगे, सानिका देवधर, सचिन लेले। वेशभूषा प्रतियोगिता का अपना अलग ही रंग सानंद दिवाळी प्रभात में दर्शकों को वेशभूषा प्रतियोगिता का भी बेसब्री से इंतजार रहता है। महिलाओं से लेकर पुरुष और इस बार युवा वर्ग भी बड़ी संख्या में आकर्षक वेशभूषा पहन कर आए थे। इस वेशभूषा प्रतियोगिता की सबसे बड़ी विशेषता यह रहती है कि इसे फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता नहीं बनाया जाता बल्कि प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा है और क्या उसने अपने व्यक्तित्व के अनुरुप वस्त्र पहने हैं या नहीं उसी पर पुरस्कार के लिए उसका चयन होता है। अभय राजनगांवकर और रागिनी मक्खर ने वेशभूषा प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरित किए। पुरुषों में प्रथम दीपेश इंगळे, द्वितीय अपूर्व बरगले, तृतीय पी.एस. नारकर रहे वही महिलाओं में प्रथम अश्विनी तावसे ,द्वितीय रेवा जोशी, तृतीय भावना जोशी रहीं। इन सभी ने ऐसे वस्त्र पहने थे जो इनके व्यक्तित्व को ओर भी उभार रहे थे। सानंद के मानद सचिव जयंत भिसे ने बताया कि यह कोई फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता नहीं है, हमने इसकी रुपरेखा ही इस तरह से बनाई है कि इसमें खूबसूरती या लकदक कपड़े पहनना ही पैमाना नहीं बल्कि एक पूर्ण व्यक्तित्व नजर आए और वेशभूषा उसे ओर आगे बढ़ाए तब जाकर उसे विजेता माना जाता है। प्रतियोगिता के निर्णायक थे अभिषेक व रसिका गावड़े। आभार सानंद के मानद सचिव जयंत भिसे ने माना।