Rashtriya Pioneer Pride: जनरेशन गैप में उलझे परिवारों को टूटने से कैसे बचाएं (1) जनरेशन गैप में उलझे परिवारों को टूटने से कैसे बचाएं (1) ================================================================================ Dilip Thakur on 02/07/2019 12:30:00 जीवन में डबल केरेक्टर से बचें प्रथम किश्त शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में जाना-माना नाम है पायोनियर ग्रुप। 24 वर्षों से पायोनियर ग्रुप न केवल विद्यार्थियों को उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान कर रहा है बल्कि सामाजिक दायित्वों का निर्वहन भी ग्रुप द्वारा सफलतापूर्वक किया जा रहा है। हाल ही में ग्रुप के चेयरमेन डॉॅ. पी.के. जैन ने समाज की एक महत्वपूर्ण समस्या के निराकरण की चुनौती अपने हाथों में ली है। जनरेशन गैप (पीढ़ियों के अंतराल) के कारण समाज में कई तरह की समस्याएं सामने आने लगी हैं। परिवार टूट रहे हैं। वृद्धाश्रमों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। केवल इंदौर में ही 12 वृद्धाश्रम संचालित हैं और कुछ का निर्माण जारी है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि हमारे समाज में यह क्या हो रहा है? हजारों सालों से चली आ रही परिवार नामक इकाई टूटने की कगार पर क्यों आ रही है? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? इसे टूटन और विघटन से कैसे बचाया जाए? इसके कारण युवाओं और बुजुर्गों में बढ़ रहे फ्रस्ट्रेशन (कुंठा) को कैसे रोका जाए? भारतीय संस्कारों को पुनसर््थापित कैसे किया जाए...आदि-आदि। पायोनियर ग्रुप द्वारा संचालित डे केअर सेंटर में हर दिन बड़ी संख्या में रिटायर्ड अधिकारी आते हैं, एक-दूसरे से मिलते हैं और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं। डॉॅ. जैन ने यहीं से उक्त पहल की शुरूआत की। पिछले कुछ महीनों में डे केअर सेंटर में आने वाले रिटायर्ड अधिकारियों से इस समस्या पर चर्चा की। इसी कड़ी में रविवार 30 जून 2019 को खुले सत्र का आयोजन पायोनियर आॅडिटोरियम (महालक्ष्मी नगर इंदौर) में किया गया। जिसमें युवा, बुजुर्ग, टीचर्स, सोशल वर्कर्स आदि ने इस समस्या पर चर्चा की और अपने विचार प्रस्तुत करते हुए समस्या के निराकरण के उपाय भी सुझाए। इस सत्र में विभिन्न वक्ताओं के विचारों को हम राष्ट्रीय पायोनियर प्राइड के पोर्टल और वेबसाइट पर लगातार हर दिन किश्तों में प्रस्तुत करेंगे- पायोनियर ग्रुप के चेअरमेन डॉ. पी.के. जैन ने संबोधित करते हुए कहा कि परिवारों में विभिन्न एज ग्रुप के बीच तालमेल नहीं हो पाने के कई कारण हैं। हर परिवार एक अलग यूनिट है। उसकी समस्याएं भी औरों से अलग है, इसलिए निराकरण का तरीका भी उसी अनुसार होगा। किसी एक तरीके से हर परिवार की समस्याएं हल नहीं की जा सकतीं। बच्चे सब अच्छे होते हैं। उन पर तो सभी को प्यार आएगा ही। गलती बच्चों की नहीं है। जिस तरह का परिवेश आपने दिया है उसी अनुरूप वे आगे बढ़ते हैं। दरअसल हम खुद अपने जीवन में डबल केरेक्टर हैं। इसी कारण समस्याएं सामने आ रही हैं। डबल केरेक्टर का व्यवहार ही हमारे रोज के कामकाज में दिखाई देता है। मैं इस बारे में आपको समझा सकता हूं लेकिन दो साल के बच्चे को नहीं समझा सकता। यदि आप पढ़ा रहे हैं और बच्चा बार-बार खिड़की के बाहर देखता रहता है तो आप क्या करोगे? आप जो पढ़ा रहे हैं उसमें बच्चे का इंट्रेस्ट क्रिएट नहीं हो पा रहा है और इस कारण पढ़ाई पर उसका ध्यान नहीं है। यही स्थिति परिवार की भी है। हर सुबह पूछा जाता है कि आज सब्जी क्या बनाना है? आखिर में बनेगी वहीं जो उसने पहले से तय कर रखी है। बच्चा बहुत क्लोजली छोटी से छोटी बातों एवं व्यवहार को आब्जर्व करता है और फिर उसका उपयोग करता है। इसलिए डबल केरेक्टर से बचें। (क्रमश:)