Rashtriya Pioneer Pride: बच्चों का विश्वास जीतने की जिम्मेदारी माता-पिता की बच्चों का विश्वास जीतने की जिम्मेदारी माता-पिता की ================================================================================ Dilip Thakur on 03/07/2019 13:39:00 दूसरी किश्त- जनरेशन गैप में उलझे परिवारों को टूटने से कैसे बचाएं (2) ...बच्चा बहुत क्लोजली छोटी से छोटी बातों एवं व्यवहार को आब्जर्व करता है और फिर उसका उपयोग करता है। इसलिए डबल केरेक्टर से बचें।... डबल केरेक्टर से हमारे जीवन में संघर्ष पैदा होता है और वही हमारे व्यवहार में दिखाई भी देता है। नई पीढ़ी के बच्चों को एक्सपोजर बहुत ज्यादा मिल रहा है। बीस-पच्चीस साल पहले यह स्थिति नहीं थी। अब तो नई-नई टेक्नॉलॉजी से बच्चे रुबरु हो रहे हैं। इसी दौरान सहनशीलता इतनी कम होती जा रही है कि छोटी-छोटी बातों में बच्चे निराश और हताश हो रहे हैं। डेटा डाऊनलोड होने में थोड़ी देर हो जाए तो हताशा नजर आने लगती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि ऐसे बच्चों को कैसे हैंडल किया जाए। पूरा विश्व अब ग्लोबल विलेज बन चुका है। इसलिए हमारे पुराने विचार नहीं चल सकते। केवल यही कहा जा सकता है कि अच्छा क्या है और बुरा क्या है, बच्चे को यह पहचानना सिखा दें। यदि नहीं सिखा पाए तो वह आपकी अनुपस्थिति में किसी और से सीखने की कोशिश करेगा और बाहर का व्यक्ति उसे निश्चित रूप से अच्छा तो नहीं सिखाएगा। बच्चों के सबसे बड़े शुभचिंतक माता-पिता ही हैं लेकिन बच्चा आपको अपना शुभचिंतक माने यह भी जरूरी है। भरोसा पैदा करने की जिम्मेदारी आपकी है। उसे विश्वास होना चाहिए कि माता-पिता मेरी बात सुनेंगे, समझेंगे और सही मार्गदर्शन देंगे। ऐसा होने पर बच्चा आपसे हर बात शेअर करेगा। अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं।