गतांक से आगे...
पायोनियर ग्रुप के चेअरमेन डॉ. पी.के. जैन ने खुले सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि संवाद में एक और मुद्दा सामने आया था कि अधिकतर पेरेंट्स अपनी अधूरी इच्छाओं की पूर्ति अपने बच्चों के माध्यम से करना चाहते हैं। यह भी एक बड़ा कारण है कि बच्चों और पेरेंट्स में विवाद होता है। मैं सीए नहीं बना तो बेटे को बना दूं, मैं डॉक्टर नहीं बना इसलिए बेटे को बना दूं, इंजीनियर बना दूं। आज के युग में हर व्यक्ति का फोकस अर्थ (धन) पर ही है। धन आपको सब कुछ दे सकता है लेकिन सुकुन और सुख तो नहीं दे सकता। यदि सुकुन और सुख धन से मिलता तो आज की तारीख में घूम रहे सैकड़ों लखपति और करोड़पतियों के चेहरे मुरझाए नहीं दिखते और वे डिप्रेशन में नहीं नजर आते। डिप्रेशन दूर करने की दवाईयां नहीं खाते।
पेरेंट्स अपने बच्चों से कॉम्पीटिशन करते हैं... यह मुद्दा भी संवाद में प्रमुखता से उभरा। बहुत अच्छी बात है। निगेटिव चीजें बहुत सारी हैं लेकिन पाजिटिव बातें भी हैं जिनसे दुनिया चल रही है। घर और परिवार भी चल रहे हैं। अच्छा भी तो हो रहा है। अच्छे की तरफ हमारा ध्यान नहीं है क्योंकि हमारा स्वभाव है कि हम हमेशा निगेटिव बातों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। अच्छी बातें भी तो हो रही हैं जैसे- क्या घर में माँ काम नहीं कर रही है, बहन काम नहीं कर रही है, पिता काम नहीं कर रहे हैं, बच्चे काम नहीं कर रहे, बच्चे बड़ों की बात नहीं सुन रहे हैं? यह सब हो रहा है लेकिन हम लोग हमेशा हमारी सोच की दिशा को निगेटिविटी को ओर ही रखते हैं। कोशिश करें कि पाजिटिविटी पर भी ध्यान दें। हर जगह, हर लेवल पर हम कॉम्प्रोमाइज करते हैं। करने भी पड़ेंगे क्योंकि हर चीज आपकी इच्छा के अनुरूप नहीं हो सकती। किसी भी हालत में नहीं हो सकती। किसी जगह आप काम्प्रोमाइज करते हैं तो कहीं सामने वाला करता है। यह तो दुनिया है और बिना इस तरह के व्यवहार से आप अपना जीवन सुकुन से नहीं बिता सकते।
Home |
Set as homepage |
Add to favorites
| Rss / Atom
Powered by Scorpio CMS
Best Viewed on any Device from Smartphones to Desktop.