शिक्षा की बात-सबके साथ (9)
डॉॅ. प्रमोद कुमार जैन
चेअरमेन, पायोनियर ग्रुप
तथा
चीफ एडिटर
राष्ट्रीय पायोनियर प्राइड
गतांक से आगे...
वर्तमान में अध्यापक अपने आप को अपने सब्जेक्ट से कितना जोड़ सकते हैं और कितना अपने आप को अपडेट करते हैं यह बड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा है। अध्यापक अपने आप को निरंतर अपडेट करें, अपने सब्जेक्ट में रिसर्च करें... इस संबंध में बहुत सारी गाइड लाइंस यूजीसी और हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट द्वारा बनाई गईं हैं लेकिन उनका पालन कितना होता है, यह सर्वविदित है। अध्यापक के अपडेशन का कोई भी मापदंड नहीं है। न तो उसका असेसमेंट होता है और न ही उसका कोई इवैल्यूएशन होता है... नतीजा लगातार क्वालिटी में गिरावट। अध्यापक का नॉलेज लेवल उतना ही रहता है बल्कि उससे भी कम जो उसने अपनी डिग्री हासिल करते समय अर्जित किया था। उसका आज के समय में कितना महत्व है इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। यह भी देखा जाए कि अध्यापक रिसर्च से कितना जुड़ा हुआ हैै। रिसर्च की क्वालिटी, उसका उद्देश्य यह अपने आप मेें कितना महत्वपूर्ण है यह सब जानते है। आज भी यूनिवर्सिटीज में सर्विस टैक्स और एक्साइज पढ़ाया जा रहा है जबकि जीएसटी लागू होने के बाद यह दोनों एक्ट खत्म हो चुके हैं। पेपर सेटिंग का तरीका क्वालिटी पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। पेपर सेटर ओरिजिनल क्वश्चन न बनाकर पुराने सालों के पेपर को बेस बना कर पेपर सेट करता है। (क्रमश:)
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