सभी से प्रभावित होता बॉलीवुड!

बॉलीवुड में यह बात अकसर कही जाती है कि फलां फिल्म हॉलीवुड की फलां फिल्म से प्रभावित है। कई फिल्में तो सीन दर सीन वैसी की वैसी कॉपी की गई होती है। इसके अलावा कई फिल्मों में एक्शन दृश्यों को भी जस का तस लिया जाता है, केवल बॉलीवुड में संगीत का पक्ष ही ऐसा है जो ओरीजनल होता है (आजकल वह भी नहीं रहा)। वास्तव में किसी से प्रभावित होना एक अलग बात है, कॉपी करना अलग। बॉलीवुड में प्रभावित होकर की जाती है, जिससे दर्शकों को बात समझ भी न आए और फिल्म निर्माता का काम भी बन जाए। प्रभावित होने की यह क्षमता इतनी ज्यादा है कि वह किसी से कभी भी प्रभावित हो सकता है। हॉलीवुड से प्रभावित होना तो अब ओल्ड फैशन है। कई फिल्म निर्माता अब स्पेनी, इतावाली और यहाँ तक इजराइल व अन्य देशों की फिल्मों से भी प्रभावित हो जाते है। इनकी देखा-देखी म्यूजिक डायरेक्टर भी कहाँ पीछे रहने वाले थे ... उन्होंने भी विदेशी बीट्स को पंजाबी बीट्स में बदलना शुरू कर दिया और ऐसी फिल्मों का संगीत हिट भी हो रहा है।

भारतीय फिल्मकारों का प्रभावित होने का यह दौर जारी है। प्रभावित होना दस बीस साल पुरानी परंपरा नहीं, बल्कि उससे पहले से ऐसा होता आया है। भारतीय फिल्मों पर हमारी संस्कृति और परंपराओं का असर पड़ना लाजमी हैं। जानते है कि फिल्मों पर किनका और कैसा असर पड़ा :
- रामायण और महाभारत का भारतीय फिल्मों पर काफी गहरा असर पड़ा है। जिस तरह महाभारत और रामायण में एक कहानी के भीतर दूसरी कहानी चलती है ठीक इसी तर्ज पर कई भारतीय फिल्मों में एक कहानी के साथ कई कहानियां साथ में चलती है। और यह लोगों को काफी पसंद भी आती है।
- भारतीय फिल्म में नृत्य और नाटक दोनों का अच्छा प्रभाव पड़ा है। संस्कृत में कई ऐसे नाटक है जिनमें नृत्य और संगीत का मिलाजुला स्वरुप प्रस्तुत किया जाता है। कई भारतीय फिल्मों में इस प्रकार के प्रयोग देखने को मिले है। जहाँ तक संगीत और नृत्य का प्रश्न है भारतीय फिल्मों में कोरियोग्राफी का इतिहास काफी पुराना है जिसमें कई स्थापित नृत्य कलाकारों ने अपनी सेवाएँ बॉलीवुड को दी है।
- संस्कृत थियेटर का अस्तित्व लगभग दसवीं शताब्दी तक रहा। इसके बाद अलग अलग क्षेत्रों में नाट्य परंपराएँ विकसित हुई । इन नाट्य परंपराओं का भी भारतीय फिल्मों पर काफी असर पड़ा। इनमें बंगाल की यात्रा, उत्तरप्रदेश की रामलीला तथा तमिलनाडु की तेरुकुट्टु ग्रामीण नाट्य परंपरा इतनी समृद्ध रही है कि इनका असर काफी बड़े क्षेत्र में काफी लंबे समय तक रहा है।
- मुंबई में जब पारसी थियेटर के प्रति लोगो में उत्सुकता जागी तब किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि आगे चलकर इसका फिल्मों पर भी असर पड़ेेगा। पारसी थियेटर यथार्थवादी था, इसमें संगीत और नृत्य को अलग तरह से प्रस्तुत किया जाता था और संवाद भी ऐसे थे जो आम दर्शको को समझ में आए। इसमें मंच पर लगाए जाने वाले सेट्स भी काफी भव्य हुआ करते थे। 
- टेलीविजन के भारत में आने पर यह कभी भी नहीं लगा था कि छोटा पर्दा बड़े को प्रभावित करेंगा परंतु जब से केबल टेलीविजन को भारत में देखा जाने लगा तब से फिल्म निर्देशकों का भी फिल्म डांस सिक्वेंस, कैमरा एंगल आदि की ओर ध्यान गया। विदेशी पॉप गायकों के अलबस टेलीविजन पर देखने के बाद उसकी कॉपी भारतीय फिल्मों में की जाने लगी।
कुल मिलाकर भारतीय फिल्में सभी से प्रभावित होना जानती है। मुंबई पर आतंकवादी हमले से लगाकर दिल्ली के सर्वाधिक चर्चित आरूषि हत्याकांड तक ने फिल्मकारों को प्रभावित किया है। अब तो किसी भी बड़ी घटना हो जाने पर फिल्म निर्माताओं द्वारा तत्काल घटना पर फिल्म निर्माण की घोषणा कर दी जाती है। बॉलीवुड के सभी सितारे भी हॉलीवुड के कलाकारों से प्रभावित है तथा कोशिश यही करते है कि वे भी अपनी लाईफस्टाईल हॉलीवुड के कलाकारों की तरह ही रखे। - अनुराग तागड़े