देश छोड़ कर जा रहे विद्वानों को रोकना होगा

शिक्षा की बात-सबके साथ (6)
डॉॅ. प्रमोद कुमार जैन
चेअरमेन, पायोनियर ग्रुप
तथा
चीफ एडिटर
राष्ट्रीय पायोनियर प्राइड
गतांक से आगे...
12- आज आप देखें कि पूरे विश्व में जहां भी चाहे यूएसए हो, चाहे यूके हो, रशिया हो या जर्मनी हो, फ्रांस हो या चाइना उन लोगों ने जितनी भी तरक्की की है, जिस भी फील्ड में चाहे स्पेस इंजीनियरिंग हो या आॅटोमोबाइल हो अथवा मेडिकल साइंस उन सब में भारतीय विद्वान शामिल हैं और उनकी भागीदारी उन सब देशों के नागरिकों से कहीं अधिक है। वे सब हिंदुस्तान के बाहर क्यों गए यह विचारणीय प्रश्न है। हिंदुस्तान में किसी भी लेवल पर उनके ज्ञान और उनकी बुद्धि की कद्र न करने के कारण दूसरे देशों ने इनको हाथोंहाथ अपने यहां लिया और अपने देश को आगे बढ़ाया। हिदुस्तान से जो ब्रेन ड्रेन हो रहा है उसे रोक कर अगर भारत में ही इन्हें उपयुक्त अवसर प्रदान किए जाएं तो भारत को विश्व का सिरमौर बनने में देर नहीं लगेगी। जिन भी थोड़े-बहुत देशभक्त लोगों ने विपरीत परिस्थितियों के बाद भी भारत में रुक कर, दी हुई परिस्थिति के अंदर काम किया है चाहे वह मंगलयान हो, चाहे वह चंद्रयान हो और चाहे वह वास्तुशिल्प हो या फिर कम्प्यूटर साइंस हो उन्होंने पूरे विश्व में भारत का झंडा गाड़ा है। आज जरूरत है उन्हें पूर्ण सम्मान देने की तथा जो बाहर जा रहे हैं उन्हें यहां रोक कर उनके अनुसार व्यवस्था देने की।