नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों का अंतिम दौर अब आ रहा है। दुनिया की वाहन कंपनियां इलेक्ट्रिक इंजिन पर रिसर्च कर रही हैं। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी कल कहा कि वाहन कंपनियों को वैकल्पिक ईंधन की ओर बढ़ना चाहिए भले ही आपको यह पसंद हो या नहीं। मैं आपसे कहूंगा भी नहीं लेकिन इन वाहनों को ध्वस्त कर दूंगा। गडकरी के चौंकाने वाले इस बयान से वाहन कंपनियों में हड़कंप मच गया है। मारूति कंपनी प्रबंधन ने कल एक बयान में कहा कि हम इलेक्ट्रिक वाहन बनाने को लेकर तैयार हैं और इसके लिए रिसर्च एंड डेवलेपमेंट का काम जारी है। आॅटोमोबाइल इंडस्ट्री में पूरी तरह से बदलाव की स्क्रिप्ट टेस्ला कंपनी ने लिखी है। बेहद कम समय में टेस्ला कंपनी ने इस दिशा में बेहतरीन काम कर पूरी दुनिया के आॅटोमोबाइल इंडस्ट्री के सामने चुनौती खड़ी कर दी। 2017 के शुरूआती महीने तक कंपनी दो लाख से ज्यादा कारें बेच चुकी है। अमेरिकन आॅटोमेकर, एनर्जी स्टोरेज, सोलर पैनल मैन्यूफैक्चरर्स कंपनी टेस्ला धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों की सबसे बड़ी कंपनी बनने की कगार पर है। कंपनी को 2008 में पहली कामयाबी मिली जब उसने इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स वाहन बनाए। यही नहीं इलेक्ट्रिक वाहनों के इकोसिस्टम को बेहतर बनाने के लिए यूरोप और अमेरिका के कई जगहों पर कंपनी ने सुपरचार्जिंग सेंटर भी खोले। छोटी-छोटी जगह मसलन रेस्टोरेंट व महत्वपूर्ण रास्तों पर भी चार्जिंग सेंटर खोले गए हैं। भारत में उस तरह की व्यवस्था अभी तक विकसित नहीं हो पाई है लेकिन सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर गंभीर नजर आ रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों से सरकार को प्रदूषण से लड़ने में मदद मिलेगी। शहरों में प्रदूषण की बड़ी वजह डीजल व पेट्रोल वाहन भी हैं। शहरों में बढ़ते प्रदूषण और गर्मी के लिए पेट्रोल-डीजल वाहनों को जिम्मेदार कारक माना जाता रहा है। इस परिस्थिति में भारत में इलेक्ट्रिक वाहन की जरूरत महसूस की जा रही है। सरकार डीजल व पेट्रोल वाहन में ज्यादा टैक्स लगा सकती है। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने सरकार की योजना पर बात करते हुए कहा कि उनका बड़ा लक्ष्य यह है कि 2030 तक देश में सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक वाहन ही हों। इसके लिए उन्होंने इंडस्ट्री के लोगों को कुछ नया सोचने, रिसर्च करने और नई तकनीक पर काम करनेळ की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आज हर आदमी के पास कार है। सड़कों पर कारों की संख्या बढ़ती जा रही है और अगर यही रफ्तार रही तो सड़कों पर एक अतिरिक्त लेन बनाने की जरूरत पड़ जाएगी।इलेक्ट्रिक वाहनों के आगमन के साथ ही तेल आधारित अर्थव्यवस्था वाले देशों के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। सऊदी अरब व अन्य खाड़ी देश जिनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तेल पर निर्भर है, उनके लिए मुश्किल दिन आने वाले हैं। खाड़ी देश अपनी अर्थव्यवस्था को विविध बनाने के लिहाज से काम कर रहे हैं लेकिन यह उतना भी आसान नहीं है। रिसर्च में भी बताया गया है कि 2020 के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग का चलन बढ़ने के कारण पेट्रोलियम की कीमतें कम होंगी। अमरावती होगी पहला डीजल-पेट्रोल कार फ्री सिटी आंध्रप्रदेश की राजधानी अमरावती में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही चलेंगे। बताया जा रहा है कि यूके के मास्टर आर्किटेक्ट ने आंध्रप्रदेश सरकार को यह सलाह दी है। यह इको फ्रेंडली और प्रदूषण रहित वाहन होंगे। नई राजधानी में 51 प्रतिशत ग्रीनरी, 10 प्रतिशत पानी, 14 प्रतिशत रोड और 25 प्रतिशत इमारतें होंगी।
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