मुंबई। स्टॉक एक्सचेंजों तक पहुंचने से पहले जिन कंपनियों के रिजल्ट सोशल मीडिया पर लीक हो गए थे, उनके शेयर ट्रेडिंग डेटा की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड आॅफ इंडिया (सेबी) ने जांच शुरू कर दी है। रेग्युलेटर ने एक्सचेंजों से यह पता लगाने को कहा है कि किन लोगों ने लीक के वक्त इन शेयरों में ट्रेडिंग की।
इनसाइडर ट्रेडिंग के रूल्स के उल्लंघन का पता लगाने के लिए भी कहा गया है। सेबी के एक अधिकारी ने बताया कि जांच के बाद स्टॉक एक्सचेंज इस मामले की रिपोर्ट रेग्युलेटर को सौंपेंगे। नियमानुसार लिस्टेड कंपनियों के बारे में सारी सूचनाएं स्टॉक एक्सचेंजों के जरिए सार्वजनिक की जानी चाहिए क्योंकि इनका कंपनियों के शेयर प्राइस पर असर पड़ सकता है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने हाल में यह मामला उजागर किया था। जिसमें बताया गया था कि डॉ. रेड्डीज सहित कुछ बड़ी कंपनियों के रिजल्ट आधिकारिक ऐलान से पहले वॉट्सऐप ग्रुप पर सकुर्लेट हो रहे थे। इसके बारे में पिछले हफ्ते सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा था कि हम इस मामले की जांच करेंगे। 2015 में सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग के रूल्स में सख्ती की थी। इसमें प्राइस सेंसिटिव इन्फॉर्मेशन की परिभाषा तय की गई थी। सेबी ने कहा था कि अगर कंपनी के बारे में कोई सूचना जो सामान्य तौर पर उपलब्ध नहीं है और जिसके सार्वजनिक होने पर शेयर प्राइस पर असर पड़ता है, उसे इस कैटिगरी में रखा जाएगा। इनमें कंपनी के फाइनेंशियल रिजल्ट्स, डिविडेंड और कैपिटल स्ट्रक्चर सहित दूसरी जानकारियां शामिल हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि डॉ. रेड्डीज का सितंबर क्वॉर्टर का रिजल्ट रिलीज से तीन दिन पहले एक प्राइवेट वॉट्सऐप ग्रुप पर सकुर्लेट हो रहा था। इसमें बताया गया था कि दवा कंपनी को 50 करोड़ रुपये से अधिक का लॉस होगा। 27 जुलाई को डॉ. रेड्डीज ने सितंबर क्वॉर्टर के रिजल्ट का आधिकारिक तौर पर ऐलान किया, जिसमें उसे 58 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इसके बाद कंपनी के शेयर प्राइस में 4.4 पर्सेंट तक की गिरावट आई थी।
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