स्ट्रेचर और व्हील चेअर के लिए भटकते रहते हैं मरीजों के परिजन एमवाय अस्पताल प्रशासन का दावा- शीघ्र ही किया जाएगा समस्या का निराकरण

 

इंदौर। वर्तमान में एमवायएच में गंभीर मरीज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना हो तो परिजनों के हाथ-पैर फूल जाते हैं। अस्पताल में न तो स्ट्रेचर मिलते हैं और न ही व्हील चेअर। यदि कभी इनमें से कोई एक साधन उपलब्ध भी हो जाए तो उसे धकाने वाले कर्मचारी नहीं मिलते। ओपीडी और केज्युल्टी में सबसे ज्यादा लोग परेशान होते हैं। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद अब अस्पताल प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है कि शीघ्र ही स्थिति में सुधार होगा। जल्द ही स्ट्रेचर व ट्रॉली आॅपरेटर की भर्ती की जाएगी। वर्तमान में 15 ट्रॉलीब्वॉय पदस्थ हैं और इनकी संख्या बढकर 50 की जा रही है। अस्पताल की विभिन्न समस्याओं को लेकर सोमवार को अधीक्षक डॉ. वीएस पाल एक बार फिर डॉक्टरों और स्टाफ की बैठक लेने जा रहे हैं। इसमें ट्रॉली का आॅपरेटरों का मुद्दा भी रखा जाएगा। पिछली बैठकों में एचओडी, नर्सिंग स्टाफ ने ट्रॉली, स्ट्रेचर की समस्या की समस्या प्रमुखता उठाई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रॉली आपरेटर की संख्या को तीन गुना किए जा रहा है। इससे स्टाफ के साथ ही मरीज और उनके अटेंडर को इसका लाभ मिलेगा। 
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में ट्रॉली आॅपरेटर की कमी के चलते परिजनों को ही अक्सर ट्रॉली धकाना पड़ती है। जिन मरीजों के साथ अटेंडर नहीं रहते या महिला रहती है तब मुश्किल बढ़ जाती है। परिजनों को ट्रॉली धकलते कई बार कमिश्नर संजय दुबे ने भी अस्पताल में देखा और इस बारे में अधिकारियों को फटकार भी लगाई लेकिन समस्या आज तक हल नहीं हो पाई है। अस्पताल प्रशासन द्वारा कहा जा रहा है कि ट्रॉली संचालन के लिए 15 आॅपरेटर ओपीडी, 15 इमरजेंसी यूनिट, 3-3 एमआईसीयू और एसआईसीयू के लिए रहेंगे। इसके अलावा अन्य स्थानों के लिए भी रिजर्व कर्मचारी तैनात रहेंगे। इस प्रकार से इनकी संख्या 15 से बढ़ाकर 45 की जाना प्रस्तावित है। वर्तमान में ओपीडी में और केज्युल्टी में आने वाले गंभीर मरीज और प्रसूताओं को स्ट्रेचर समय पर न मिल पाने के कारण बहुत ज्यादा परेशानी आती है। कई बार तो इसके लिए मरीजनों के परिजनों को आॅपरेटर की मुट्ठी तक गर्म करना पड़ती है तब कहीं जाकर मरीज को स्ट्रेचर मिल पाता है। केंद्र सरकार ने निर्देशित किया था कि उसके द्वारा तय की गई चार कंपनियों को ही अस्पताल की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी सौंपी जाए। इसे लेकर दिल्ली की एक कंपनी के जिम्मेदारों ने एमवायएच का दौरा भी किया था। कंपनी को सुरक्षा, सफाई, ट्रॉली, कम्प्यूटर संचालन आदि का ठेका दिया जाना था। मिली जानकारी के अनुसार कंपनी ने अपनी सर्वे रिपोर्ट, शर्तें और शुल्क की जानकारी अब तक नहीं भेजी है। यही कारण है कि वर्तमान में ट्रॉली संचालन का ठेका स्थानीय एजेंसियों को देने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। यदि दिल्ली की कंपनी इस दौरान काम के लिए तैयार हो जाती है उसे ठेका दे दिया जाएगा।