खान नदी के गंदे पानी से उज्जैन के लोग भी परेशान

इंदौर। खान नदी के गंदे पानी से न केवल इंदौर बल्कि अब तो उज्जैन भी परेशान हो रहा है। इंदौर से बह कर जा रहा पानी उज्जैन में सप्लाय किए जा रहे शुद्ध पानी को दूषित कर रहा है। एनजीटी के निर्देशों के बावजूद नगर निगम और जिला प्रशासन खान नदी की स्थिति नहीं सुधार पा रहे हैं।
स्वच्छता में देश में नंबर वन का दर्जा पा चुके इंदौर के बीचोंबीच खान नदी में गंदा, काला व दुर्गंधयुक्त पानी बह रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष याचिका दायर कर खान नदी को साफ कराने का आग्रह किया है। सुनवाई अभी जारी है और इस दौरान एनजीटी कई बार नगर निगम व जिला प्रशासन को निर्देश दे चुका है। इसके बावजूद नदी की सफाई नहीं हो पा रही है। आम लोगों का मानना है कि नदी की सफाई कभी हो भी नहीं पाएगी क्योंकि अधिकारी और जनप्रतिनिधि इसे प्राथमिकता की सूची में नहीं रखते हैं। इसीलिए तो पिछले करीब पच्चीस सालों में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद नदी में आज भी गंदा पानी बह रहा है। जैसे-जैसे पानी आगे बढ़ता जाता है वह और अधिक प्रदूषित और जहरीला होता जाता है क्योंकि इसमें फैक्टरियों का पानी भी छोड़ा जा रहा है। कभी रिवर साइड कॉरिडोर बनाने की बात की गई थी और नदी के किनारों को अतिक्रमण से मुक्त कराने का अभियान शुरू किया गया था लेकिन मात्र कुछ निर्माण तोड़ने के बाद राजनीतिक दबाव के चलते अधिकारियों ने चुप्पी साध ली।
खान नदी का पानी आगे जाकर उज्जैन में शिप्रा में मिलता है। सिंहस्थ में इस पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए उज्जैन की सीमा के बाहर ही इसे पाइप लाइन में मोड़ दिया गया था। शहर सीमा के बाहर पाइप लाइन से पानी पुन: शिप्रा में छोड़ा गया। सिंहस्थ तो सकुशल संपन्न हो गया और शुद्ध पानी में श्रद्धालुओं व संतों ने स्नान किया लेकिन उसके बाद से समस्या यथावत है। अब उज्जैन को नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना से पानी दिया जा रहा है और उसे भी खान नदी का गंदा पानी प्रदूषित कर रहा है। यह प्रदूषित पानी नलों के माध्यम से लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। इस मामले को लेकर वहां आम लोग आक्रोशित हैं। दो बड़े शहरों की जनता खान नदी के गंदे पानी से बुरी तरह परेशान हैं लेकिन इसे साफ करने के लिए गंभीरतापूर्वक कार्य कब शुरू किया जाएगा इस बारे में कोई ठोस आश्वासन नहीं देता।