किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट के बाद भी बन सकती हैं मां, विशेषज्ञों ने कहा- यूटेरस ट्रांसप्लांट को बढ़ावा नहीं देना चाहिए

इंदौर। कम उम्र में किडनी, लिवर की बीमारी और ट्रांसप्लांट करवाने के बाद क्या महिला मां बन सकती है? यह विचार इस दौर से गुजरने वाली हर महिला के मन में आता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कम उम्र में किडनी खराब होने अथवा लिवर सिरोसिस के केसेस लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखते हुए ट्रांसप्लांट के 1 से 2 साल बाद एक महिला मां बनने का सपना पूरा कर सकती है। 
यह बात ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में चल रही क्रिटिकल केयर इन आॅब्सटेट्रिक्स नेशनल कॉन्फ्रेंस के आखिरी दिन विशेषज्ञों ने कही। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि हमें देश में यूटेरस ट्रांसप्लांट को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। जिस देश में गरीब बच्चों को गोद लेने की जरूरत है, जहां सेरोगेसी को मान्यता है, वहां यूटेरस ट्रांसप्लांट सही नहीं है। इस तरह के ट्रांसप्लांट में 2 लोगों को तकलीफों से गुजरना पड़ता है। 
नेशनल कॉन्फ्रेंस के बैनर तले आॅर्गन डोनेशन की बात पहली बार हुई। संभागायुक्त संजय दुबे ने बताया कि प्राइवेट हॉस्पिटल में सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर को भेज कर पोस्टमार्टम करवाना और सातों दिन चौबीस घंटे मेडिकल कॉलेज में शव लेने की सुविधा बनाने जैसे बदलाव कर हमने इंदौर को आॅर्गन ट्रांसप्लांट और बॉडी डोनेशन के मामले में विश्व के नक्शे पर लाकर खड़ा कर दिया है। यह हमारी उपलब्धि है कि पिछले दिनों हमने सात शव जम्मू कश्मीर मेडिकल विद्यार्थियों की हायर स्टडी के लिए इंदौर से भिजवाए। शहर के साथ हम देश को भी डोनेशन के लिए जागरूक करना चाहते हैं और स्पेन की तर्ज पर डिमांड से ज्यदा सप्लाई करना चाहते हैं। कार्यक्रम में मौजूद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अजय कुमार शर्मा ने कहा कि संभागीय प्रशासन द्वारा अंगदान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। पुलिस प्रशासन द्वारा इस काम में हर संभव मदद की जा रही है। जरूरत पड़ने पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी किसी भी कानूनी बाधा का सकारात्मक और त्वरित समाधान कर रहे हैं। गत दो वर्षों में 26 बार ग्रीन कॉरिडोर बना कर दान किए गए अंगों को निर्धारित समयावधि में निर्धारित स्थल तक पहुंचाया गया। इस कार्य में ट्रैफिक पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 
डॉ. रचना दुबे ने केडेवर ट्रांसप्लांट से लेकर ट्रांसप्लांट के बाद प्रेग्नेंसी होने जैसे विभिन्न मुद्दों पर विशेषज्ञों से प्रश्न पूछे। फोगसी नेशनल प्रेसीडेंट डॉ. रिश्मा पाई ने अफसोस जताते हुए कहा कि एक तरफ तो हम अस्पतालों में डिलीवरी कराने का लक्ष्य हम पूरा कर चुके हैं। वहीं माता को बचने में हम अभी भी नाकाम हैं, हमारी कोशिश जारी है कि मातृ मृत्युदर में तेजी से कमी लाई जाए। प्रधानमंत्री मातृत्व स्वास्थ अभियान के तहत हर महीने 9 तारिख को देशभर में गर्भवती महिलाओं की नि:शुल्क जांच की जाती है। इस अभियान में 1500 डॉक्टर स्वेच्छा से जुड़ कर सेवाएं दे रही हैं। ऐसे अभियान में हम गर्भवती महिलाओं की हीमोग्लोबिन, बीपी, शुगर और यूरिन जैसी जांच कर हाईरिस्क केसेस को पहले से पहचान पाते हैं।