सफाई में नंबर वन और समस्याओं के निराकरण में नंबर तीन है इंदौर

इंदौर। समस्याओं के निराकरण के लिए जनसुनवाई, सीएम हेल्पलाइन और भी न जाने कहां-कहां कोशिश करते रहते हैं शहर के लोग लेकिन कई चक्कर काटने के बाद भी निराकरण समय पर नहीं हो पाता है। जनसुनवाई में पहुंचने वाले अनेक लोग ऐसे भी हैं जो कई महीनों से चक्कर काट रहे हैं लेकिन समस्या यथावत है। सफाई में देश में नंबर वन का दर्जा पाने वाले इंदौर शहर के अफसर एक बार फिर खुश हैं। कारण है सीएम हेल्पलाइन में दर्ज समस्याओं को निपटाने में शहर प्रदेश में तीसरे नंबर पर है लेकिन अफसरों की थर्ड ग्रेड की खुशियां लोगों को समझ में नहीं आ रही हैं। लोग चाहते हैं कि समस्याओं के निराकरण में शहर सुपर नंबर वन हो वह भी प्रदेश में नहीं बल्कि देश में।
जनसुनवाई में पहुंचने वाले लोग जब चक्कर काटते-काटते परेशान हो जाते हैं तो वे सीएम हेल्पलाइन का सहारा लेते हैं। कलेक्टोरेट में होने वाली जनसुनवाई में पिछले मंगलवार को ही देपालपुर निवासी समंदरसिंह ने शिकायत की कि वर्ष 1984 से शासकीय कागजातों में उसे मृत घोषित कर दिया गया है और तहसीलदार व पटवारियों ने उसकी मौत का प्रमाण पत्र जारी करते हुए उसकी जमीन भी परिवार के सदस्यों के नाम पर दर्ज कर दी। वह 1984 से अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। अब वह स्वयं के जीवित होने का सबूत कहां से लाए। कलेक्टोरेट में जनसुनवाई में बार-बार चक्कर लगा कर परेशान हो चुके लोगों द्वारा जहर खाने के मामले भी सामने आ चुके हैं। उधर नगर निगम में होने वाली जनसुनवाई में भी कई बार विवाद हो चुके हैं। जनसुनवाई में विवाद बढ़ने के बाद अब सभी अधिकारियों ने एक साथ हॉल में बैठ कर सुनवाई करने की बजाए अपने-अपने आॅफिस में बैठ कर सुनवाई शुरु कर दी है। समस्याओं का निराकरण तेजी से नहीं होता है इसी कारण हर मंगलवार को जनसुनवाई में लोगों की भीड़ उमड़ती रहती है। 
हाल ही में सीएम हेल्पलाइन के लंबित आवेदनों के निराकरण में अगस्त तक बेहतर प्रदर्शन करने वाले प्रदेश के तीन शहरों में इंदौर का नाम भी शामिल हुआ है। सीएम शिवराजसिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज प्रकरणों के निराकरण की समीक्षा करते हुए तीन शहरों के नामों की जानकारी दी। होशंगाबाद जिला प्रथम, नीमच द्वितीय और इंदौर तृतीय स्थान पर रहा। शहर की बजाए ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थ अधिकारियों ने और बेहतर कार्य किया। जिला पंचायत इंदौर प्रदेश में द्वितीय रही जबकि होशंगाबाद जिला पंचायत प्रथम रही अर्थात होशंगाबाद जिला (ग्रामीण क्षेत्र) और होशंगाबाद शहर पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान पर रहे। अब इंदौर से होशंगाबाद टीम भेजी जानी चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि वहां किस प्रक्रिया से समस्याओं का निपटारा किया जा रहा है। हालांकि यह कहा जा सकता है कि होशंगाबाद छोटा जिला है और वहां इंदौर की तुलना में शिकायतें कम आती हैं लेकिन यह तो मानना ही पड़ेगा कि निराकरण की प्रक्रिया इंदौर से बेहतर है और यह बात तो सीएम ने भी मानी है।