लाबरिया भेरु चौराहे की ट्रैफिक समस्या का क्या कोई हल ही नहीं

इंदौर। शहर के मध्यक्षेत्र के ट्रैफिक की ओर सभी का ध्यान जाता है और पूर्वी क्षेत्र में जरा सा जाम लगा कि हो हल्ला मच जाता है पर शहर के पश्चिम क्षेत्र में महू नाका के बाद लाबरिया भेरु ऐसा चौराहा है जहां पर हरदम ट्रैफिक लगा रहता है और इसकी देखभाल करने या यातायात व्यवस्था संभालने के लिए कोई नहीं रहता।
गंगवाल बस स्टैंड होने के कारण बसों का आना-जाना लगा ही रहता है और इस कारण यहां पर टाटा मैजिक व रिक्शा वालों और वैन वालों की भीड़ लगी रहती है। यह भीड़ भी बड़ी अजीब होती है जिसमें वैन, टाटा मैजिक वालों की आपसी होड़ लगती है। जैसे ही इन्हें संभावित यात्री नजर आ जाता है इनके मार्केटिंग एजेंट याने कंडक्टर उस यात्री को अपनी गाड़ी में बिठवाने के लिए तरह-तरह के प्रयोजन करने लगते हैं। हालात कई बार ऐसे होते हैं कि दो मार्केटिंग एजेंट एक यात्री को लेकर झगड़ने लगते हैं और नौबत मारपीट तक पहुंच जाती है। ऐसे में जो संभावित यात्री होता है वह स्थितियां भांपकर वहां से भाग खड़ा होता है। इस सबके बीच ट्रैफिक का जो कबाड़ा होता है वह अलग और इसे जिस प्रकार से यहां से आने-जाने वाले मूक दर्शक बनकर देखते हैं उसी तर्ज पर ट्रैफिक पुलिस के जवान भी देखते हैं। वे बीच में नहीं पड़ते क्योंकि यह दो लोगों का आपसी झगड़ा है पर इस कारण जो ट्रैफिक जाम हो रहा है उससे उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता। इन सभी के कारण वहां जो ट्रैफिक जाम होता है उसके कारण दुकानदारों को भी ग्राहकी का नुकसान होता है पर वे किसे शिकायत करें और उसका क्या सही मायने में हल होने वाला है।
वहीं दोपहर बाद यहां आसपास बड़ी संख्या में स्कूलों की बसें निकलती हैं। इन बसों के साथ-साथ गंगवाल बस स्टैंड पर आने वाली बसें मिलकर ट्रैफिक जाम कर देती हैं पर देखने वाला अगर कोई है तो वह ट्रैफिक चौकी में बैठा ट्रैफिक पुलिस का जवान जिसे कोई मतलब नहीं।
देर शाम के बाद हालत हो जाती है बदतर
इस मार्ग पर देर शाम के बाद हालात बद से बदतर हो जाते हैं जब ट्रेवल्स की बसें गुजरात के लिए रवाना होती हैं। सड़क पर ही माल इन बसों में भरा जाता है। बसों के यहां पर आने-जाने से जो ट्रैफिक जाम होता है इसकी फिक्र किसी को नहीं क्योंकि मूक दर्शक वैसे ही सभी दूर बैठे हैं। 
क्या ट्रैफिक पुलिस ध्यान देगी?
इस चौराहे से कुछ ही दूरी पर पश्चिम क्षेत्र का यातायात थाना है परंतु यह चौराहा अपने आप में उपेक्षित है और राह देख रहा है कि कब जाकर यहां पर सख्ती होगी और नियमानुसार गाड़ी चलाने के लिए कहा जाएगा खासतौर पर बस चालकों और टाटा मैजिक, वैन वालों को जो कि जैसी चाहे वैसी गाड़ियां चलाते हैं क्योंकि मूक दर्शक याने ट्रैफिक पुलिस इनकी गलती को देखकर भी अनदेखी कर देती है।