हस्ताक्षर कर संस्कृत बोलने का संकल्प लिया

इन्दौर। संस्कृतं वदाम: भारतं रक्षाम: के उद्घोष के साथ एक दिवसीय संस्कृत जनपद सम्मेलन का आयोजन संस्कृत भारती के तत्वावधान में हुआ। सम्मेलन में मौजूद सभी लोगों ने हस्ताक्षर कर संस्कृत बोलने का संकल्प लिया। आयोजन के शुभारंभ अवसर पर राजवाड़ा तक शोभायात्रा भी निकाली गई।
मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृत भारती के अभा संपर्क प्रमुख पी. नंदकुमार ने कहा कि भारत में रहन वाले प्रकाश की आराधना करते हैं। भारत की संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं की जननी है। संस्कृत वह भाषा है जो वेद, उपनिषदों, श्रुति, स्मृति, पुराणों, महाभारत, रामायण आदि में सबसे उन्नत प्रौद्योगिकी रखती है। एक रिपोर्ट के अनुसार है कि रूसी, जर्मन, जापानी, अमेरिकी सक्रिय रूप से आध्यात्मिक ग्रंथों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं और उन्हें वापस दुनिया के सामने अपने नाम से रख रहे हैं। लगभग 40 देशों में संस्कृत भाषा से संबंधित शोध चल रहे हैं, भारत में इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्हेंने कहा कि इस वर्ष पूरे देश में 500 से अधिक जिलों में जनपद संस्कृत सम्मेलनों का आयोजन हो रहा है। इन सम्मलेनों का ध्येय वाक्य ही संस्कृतं वदाम: है। इसका अर्थ है- हम सभी संस्कृत बोलेंगे।  यहाँ उपस्थित विशाल जनसमूह यह संकल्प ले कि हम संस्कृत को बोलना प्रारम्भ करेंगे। स्वयं तथा परिचितों के विद्यालयों में संस्कृत शिक्षण की व्यवस्था प्रारंभ करें तथा सरकार से भी आग्रह करें कि संस्कृत अध्ययन की समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराए। सम्मेलन में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया। जिसमे सभी ने एक स्वर ॐ का उच्चारण कर पारित किया एवं उस प्रस्ताव के समर्थन पर हस्ताक्षर भी किए।
सम्मेलन में विशिष्ठ अतिथि देवी अहिल्या विवि के कुलपति डॉ. नरेंद्रकुमार धाकड़, केट के डिप्टी डायरेक्टर वैज्ञानिक डॉ. पुरूषोत्तम श्रीवास्तव, संस्कृत भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री प्रमोद पंडित, संस्कृतविद् डॉ. विनायक पाण्डेय, डॉ. सुनीता थत्ते, स्नेहलता शर्मा, सीमा जिन्दल (बलवाड़ा) थीं। अध्यक्षता संस्कृत भारती मालवा प्रान्त के अध्यक्ष गोपाल शर्मा ने की।
शोभायात्रा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से संस्कृत भाषा कितनी सरल है यह भी बताया गया। प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. अभिषेक पाण्डेय ने बताया कि कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर प्रात: 9 बजे संस्कृत शोभायात्रा निकाली गई। जो नगर निगम होते हुए राजवाड़ा होकर पुन: चिमनबाग आई। इसमें बड़ी संख्या में महिला-पुरूष संस्कृत के जयघोष लगाते हुए चल रहे थे। महापुरूषों का वेष धारण किए बच्चे आकर्षण का केंद्र थे। यात्रा का विभिन्न स्थानों पर स्वागत हुआ।