298 लोगों के बयान अब भी बाकी

इंदौर। किसान आंदोलन के दौरान मंदसौर में पुलिस फायरिंग में किसानों की मौत के मामले की न्यायिक जांच जारी है। किसानों का कहना है कि जांच की गति काफी धीमी है। आयोग को 6 माह में जांच रिपोर्ट शासन को सौंपनी थी लेकिन अभी तो जांच का काफी बड़ा हिस्सा बाकी है। इस कारण शासन ने आयोग का कार्यकाल तीन माह बढ़ा दिया है। 
किसान आंदोलन में 6 जून को पुलिस की गोली से मारे गए 6 किसानों को सरकार ने एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा राशि दी थी। इसके बाद शासन ने मामले की न्यायिक जांच की घोषणा की थी। एक सदस्यीय जांच आयोग का अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जेके जैन को बनाया गया है। घटना मंदसौर में हुई लेकिन शासन ने आयोग का मुख्यालय इंदौर में बनाया। शुरूआत में मंदसौर से प्रभावित लोग बयान देने इंदौर नहीं आ सके। इसके बाद आयोग ने मंदसौर जाकर सुनवाई की। जांच के निर्धारित समय पूरा होने के बाद शासन ने आयोग का कार्यकाल 11 मार्च 2018 तक बढ़ा दिया है। फिलहाल आयोग को 188 आम लोगों और किसानों तथा प्रशासन व पुलिस के 110 अधिकारियों व कर्मियों के बयान दर्ज करने हैं। उधर किसानों का कहना है कि जांच की गति काफी धीमी है। शासन ने अब तक उन पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है जिन्होंने गोलियां चलाई थीं। यह भी पता नहीं चल पाया है कि गोलियां चलाने का आदेश किस अधिकारी ने दिया था। वर्ष 2018 के अंत में ही विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव में कांग्रेस किसानों के इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएगी।