20 वरिष्ठजनों को सम्मानित किया

इंदौर। मराठी साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद भोपाल के दो दिवसीय आयोजन अविरत वसंत (भरारी मराठी माणसाची) के दूसरे दिन 20 वरिष्ठजनों का सम्मान किया गया। इस कार्यक्रम में जब अतुल दाते ने भावगीत नवा शुक्रतारा की प्रस्तुति दी तो पूरा हाल (माई मंगेशकर सभागृह) तालियों से गूंज उठा। 
संगीतज्ञ अरुण दाते द्वारा निर्मित इस संगीत एलबम के 55 वर्ष पूर्ण होने पर यह प्रस्तुति माणिक एन्टरटेनमेंट, मुम्बई द्वारा दी गई थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ रंगकर्मी व अभिनेता श्री अच्चुत पोद्दार (मुम्बई) थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मध्यप्रदेश गान से हुआ। मराठी साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के निदेशक अश्विन खरे ने बताया कि पहले दिन 32 वरिष्ठजनों को सम्मानित किया गया और दूसरे दिन 20 वरिष्ठजनों को। दूसरे दिन सम्मानित होने वालों में सामाजिक कार्यकर्ता मुकुंद कुलकर्णी, रंगकर्मी एवं साहित्यकार कलाताई चितले, संगीतज्ञ सुमति दातार, स्वच्छ भारत संकल्पना उषाताई वैशम्पायन, साहित्यकार माधव साठे, साहित्यकार चन्द्रसेन विराट, सामाजिक कार्यकर्ता एवं योगाचार्य प्रभाकर नाईक, साहित्यकार श्रीनिवास हवलदार, प्रतिभा सम्पन्न व्यकित्तव एम.व्ही. शिरढोणकर, साहित्यकार रामकृष्ण खरे, साहित्यकार मधुसुदन तपस्वी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार पु.के. धांडे, ज्येष्ठ रंगकर्मी अच्युत पोद्दार, शिक्षाविद् डी.डी. बंदिष्ठे, साहित्यकार  संध्या भराड़े, अरुण डी.के., रमेश खड़ीकर, कीर्तनकार व रंगकर्मी आशा वैशम्पायन, दत्तात्रय बक्शी, राजेन्द्र गडकर, यशवंत वझे, यशस्वनी गढकर शामिल थे।
इस मौके पर प्रभाकर नाईक ने योगा की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन, खंडवा, सागर, बुरहानपुर, देवास, महू आदि स्थानों से बड़ी संख्या में मराठीभाषी शामिल हुए। 
सम्मानित व्यक्तियों को आगामी जीवन की शुभकामनाएं एवं उत्तरोत्तर जीवन वृद्धि के लिए जीवेत शरद शतम कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। जिसकी परिकल्पना अभय माणके की थी। कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता सुनीता हिरदे ने वसीयत, जायजाद, बंटवारा आदि के संबंध में जानकारी दी, जबकि डॉ. शशांक वैद्य ने चिकित्सकीय सलाह दी। प्रसिद्ध कीर्तनकार अप्पा मार्जने ने धर्म और आध्यात्म के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन निशा कविश्वर, मंजुषा जौहरी एवं अनिल ढमढेरे ने किया। अंत में आभार अकादमी के निदेशक अश्विन खरे ने माना।