वह ‘अगला सप्ताह’ अब तक नहीं आया

इंदौर। स्वच्छता में नंबर वन का पुरस्कार जीतने के प्रयास में नगर निगम कई कार्यों को लगभग भुला बैठा है। इनमें से कई कार्य तो ऐसे हैं जिनकी घोषणा निगम प्रशासन ने ही की थी। शहर के तालाबों को बचाने के अभियान के तहत 29 मार्च-2017 को कहा गया था कि अगले सप्ताह में सिरपुर तालाब को अतिक्रमण मुक्त करा दिया जाएगा लेकिन वह अगला सप्ताह अब तक नहीं आया और ऐसा लगने लगा है कि कभी आएगा भी नहीं।
तालाबों की जमीनों पर कब्जे लगातार किए जाते रहे और अब भी किए जा रहे हैं। दिखावे के लिए कभी-कभार कुछ अतिक्रमण हटा दिए जाते हैं और बाकी के लिए अधिकारियों के पास समय ही नहीं है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में सड़कों को चौड़ा करने के लिए बड़ी संख्या में मकान तोड़े गए और अब भी तोड़े जा रहे हैं। यह कार्य भी महत्वपूर्ण है लेकिन अब तक केवल तीन सड़कों पर ही यह अभियान चला है- गणेशगंज, बियाबानी से लोहारपट्टी मार्ग और सरवटे बस स्टैंड से गंगवाल बस स्टैंड तक का मार्ग। तीनों ही कार्य लंबे समय से जारी हैं। सुभाष मार्ग को चौड़ा करने के लिए कार्य शुरू हुआ था लेकिन कुछ समय बाद ही थम गया। 
स्वच्छता अभियान में लगातार दूसरे वर्ष देश में नंबर वन बनने के लिए इंदौर दावेदारी कर रहा है। अधिकारियों के साथ ही नागरिक भी चाहते हैं कि यह पुरस्कार इस बार भी इंदौर को ही मिले लेकिन इस कार्य में जुटे अधिकारी यह भुला चुके हैं कि शहर में और भी कई कार्य हैं जिन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता से किया जाना है। तालाबों के आसपास की जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए किए गए वादे को अधिकारी काम के बोझ में भूल गए या किसी दबाव में उन्होंने जानबूझकर इस वादे को भुला दिया। इन्हीं अधिकारियों ने तो कहा था कि सिरपुर तालाब में आसपास की कई बस्तियों का ड्रेनेज का पानी मिल रहा है और मछलियों के मरने का मुख्य कारण भी यही गंदा पानी है। शहर में एकमात्र यही तालाब है जहां प्रवासी पक्षी आते हैं। यदि तालाब की उपेक्षा इसी तरह जारी रही हो सकता है कि यहां प्रवासी पक्षियों का आना बंद हो जाए। 
वैसे ही इंदौरवासियों के समक्ष यह समस्या है कि वे अपने मेहमानों को शहर में कहां घुमाने ले जाएं। तालाबों की हालत खराब है। रीजनल पार्क में मनोरंजन के कोई साधन नहीं हैं। पार्क के समीप स्थित पिपलियापाला तालाब की हालत खराब है और वहां के लिए लाए गए क्रूज को भी मंदसौर भेज दिया गया। नेहरू पार्क में निगम के अधिकारी बैठे हैं। पार्क में उद्यान अधीक्षक का निवास है, निगम की लाइब्रेरी भी बनी है, बापू की कुटिया है और अब स्मार्ट सिटी का कार्यालय भी पार्क में ही बन गया है। मेहमानों को घुमाने के लिए जिले के बाहर ही कहीं ले जाना पड़ता है। स्मार्ट सिटी बन रहे शहर के पास अपना खूबसूरत पिकनिकस्थल पता नहीं कब तक होगा?