मुख्य सचिव फरवरी में फिर करेंगे कामकाज की समीक्षा

इंदौर। प्रदेश के मुख्य सचिव एक बार फिर निकल पड़े हैं संभागीय मुख्यालयों पर कामकाज की समीक्षा करने। इंदौर में पिछली बैठक अधिकारियों पर बहुत भारी पड़ी थी। 3 एसडीएम और 2 तहसीलदारों को उन्होंने बैठक में ही निलंबित कर दिया था। अब सभी सतर्क हैं। मुख्य सचिव का दौरा पुन: शुरू होने के बाद इंदौर में भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। संभागायुक्त ने सभी जिलों के कलेक्टरों की बैठक आयोजित कर उनके कार्यों की समीक्षा की। 
पिछली बार 31 अगस्त-17 को मुख्य सचिव बीपी सिंह ने इंदौर में संभाग के सभी जिलों के कामकाज की समीक्षा की थी। बैठक में ही उन्होंने 3 एसडीएम और 2 तहसीलदारों को निलंबित कर दिया था। उस बैठक की दहशत अब तक अधिकारियों में दिखाई दे रही है। मुख्य सचिव ने कहा था कि दो माह बाद फिर आऊंगा। अधिकारियों ने इसी डर से कामकाज में सुधार किया और लंबित प्रकरणों का निराकरण व बकाया टैक्स की वसूली में जुट गए थे। मुख्य सचिव एक बार फिर आ रहे हैं लेकिन दो माह बाद नहीं बल्कि पांच माह बाद। वे फरवरी माह के सप्ताह में बैठक लेंगे। इस सूचना के साथ ही अधिकारियों की नींद उड़ गई है। 
मुख्य सचिव के आगमन के पहले संभागायुक्त संजय दुबे ने मंगलवार को संभाग के सभी जिलों के कलेक्टरों की बैठक आयोजित की। उन्होंने निर्देश दिए कि 31 जनवरी तक सभी कलेक्टर लंबित राजस्व प्रकरणों को निराकृत कर सूचित करें। नामांकन, बंटवारा, सीमांकन आदि का कोई प्रकरण लंबित नहीं रहे। फरवरी के प्रथम सप्ताह में मुख्य सचिव द्वारा इंदौर संभाग के राजस्व प्रकरणों की समीक्षा की जाएगी। दो साल से अधिक समय से लंबित प्रकरणों और नजूल प्रकरणों को समय सीमा में निराकृत करें। कलेक्टर हर सप्ताह राजस्व प्रकरणों की जिलास्तर पर समीक्षा करें तथा तहसीलदारों व एसडीम को समुचित दिशानिर्देश दें। श्री दुबे ने कहा कि इंदौर संभाग में सीमांकन के लिए टीएसएम मशीन का इस्तेमाल किया जाए। जरीब को जप्त कर लिया जाए। सभी कलेक्टर मुहिम चलाकर अतिक्रमण हटाएं। 
बैठक में बताया गया कि इंदौर संभाग में प्रधानमंत्री आवास हेतु 1983 आवासीय पट्टे वितरित किए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री आवास के लक्ष्य को पूरा करने के लिए शासकीय जमीन पर आवासीय कॉलोनी बसाने के निर्देश भी दिए। बैठक में बताया गया कि इंदौर संभाग में पिछले 10 सालों में आदिवासियों को 1 लाख 5 हजार 772 वन अधिकार पट्टे वितरित किए जा चुके हैं। इंदौर संभाग में डायवर्शन टैक्स की 1 अरब 80 करोड़ रुपए की वसूली की जा चुकी है। इसमें से 52 करोड़ रुपए इंदौर में वसूले गए। श्री दुबे ने कलेक्टरों को निर्देश दिए कि वे अपने जिले में मुहिम चलाकर नई कॉलोनियों, स्कूलों, व्यवसायिक संस्थानों, ढाबों आदि की जांच कर नियमानुसार डायवर्सन शुल्क वसूल करें। डायवर्सन शुल्क न देने पर धारा 52 के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जाए। बैठक में कलेक्टर्स निशांत वरवड़े, श्रीमन शुक्ला, गणेशशंकर मिश्रा, दीपक सिंह, अभिषेक सिंह, आशीष सक्सेना, उपायुक्त सपना शिवाले व अन्य अधिकारी मौजूद थे।