महापौर व निगमायुक्त के प्रयासों से स्वच्छ हुआ इंदौर

इंदौर। स्वच्छता सर्वेक्षण-2018 शुरू हो चुका है। केंद्र की टीम शहर की सफाई व्यवस्था को जांच रही है। नगर निगम प्रशासन ने जिस तरह की सफाई व्यवस्था शहर में लागू की है उसे देख कर तो हर नागरिक यही कह रहा है कि इस बार भी इंदौर ही नंबर वन रहेगा। शहर में सफाई व्यवस्था को इस स्तर पर लाने का श्रेय महापौर मालिनी गौड़ और निगमायुक्त मनीषसिंह को है और निश्चित ही वे बधाई के पात्र हैं। शहरवासी नगर निगम के स्वच्छता अभियान में पूरा सहयोग दे रहे हैं। शहर अब इस स्थिति में आ गया है कि बाहर से आने वाले लोगों को लोग गर्व से कह सकते हैं कि यह है हमारा स्वच्छ इंदौर और सुंदर इंदौर।
पिछले वर्ष सफाई के मामले में इंदौर पूरे देश में नंबर वन बना था। उसके बाद से अब तक सफाई के स्तर को न केवल बनाए रखा गया बल्कि उसमें कई महत्वपूर्ण सुधार भी किए गए। महापौर व निगमायुक्त ने भी लोगों को प्रेरित किया। इसके परिणाम सामने हैं। शहर पूरी तरह से स्वच्छ नजर आ रही है। चाहे मेनरोड हो या किसी कॉलोनी या बस्ती की गलियां, कहीं भी कचरा नजर नहीं आ रहा है। कचरा पेटियों से शहर पूरी तरह मुक्त हो चुका है। घर-घर में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखा जा रहा है तथा डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए आने वाली गाड़ियों में ही कचरा नियमित रूप से डाला जा रहा है। कहीं भी घरों या दुकानों के बाहर कचरा नहीं फेंका जाता है। मात्र दो वर्षों में लोगों ने पूरी तरह अपनी आदत बदल ली और अब कोई भी व्यक्ति सड़क पर कचरा फेंकता नजर नहीं आता है।
कचरे से खाद बनाने के मामले में भी इंदौर नगर निगम के प्रयास सफल रहे हैं। बायपास स्थित जिस ट्रेंचिंग ग्राउंड से चौबीस घंटे जलते हुए कचरे का धुआं उठता रहता था उसकी दशा अब पूरी तरह बदल चुकी है। ट्रेंचिंग ग्राउंड जहां पूरे शहर का कचरा पहुंचता है वहां भी अब पूरा क्षेत्र साफ सुथरा नजर आ रहा है। रोजाना कचरे से खाद बनाई जा रही है और किसानों को उपलब्ध कराई जा रही है। ट्रेंचिंग ग्राउंड की दशा सुधरने से आसपास के गांवों तथा टाऊनशिप में रहने वाले लोगों ने भी राहत की सांस ली है क्योंकि ये लोग जहरीली धुएं से परेशान होते रहते थे। ट्रेंचिंग ग्राउंड को हटाने के लिए वे कई बार आंदोलन भी कर चुके थे।
महापौर श्रीमती गौड़ द्वारा शुरू किए स्वच्छता एप का उपयोग करने की आदत भी लोगों ने डाल ली है। वे अपनी शिकायतों को इस एप के माध्यम से निगम प्रशासन तक पहुंचाते हैं और उसका निराकरण शीघ्रता से हो जाता है। महापौर के ही प्रयास हैं कि अब यात्री बसों में भी डस्टबीन नजर आने लगी हैं। लोग सड़कों पर थूकने की आदत छोड़ रहे हैं। कुल मिला कर अब हम अपने शहर पर गर्व कर सकते हैं। बाहर से आने वाले लोग भी इंदौर शहर की सफाई व्यवस्था को देख कर चकित हैं। कहीं भी आवारा मवेशी, कचरा, गंदा पानी नजर नहीं आता है। इस पूरे प्रयास में शहर के रहवासियों को भरपूर योगदान है।