ऐसे भवन बनाते ही क्यों हैं?

इंदौर। नंदलालपुरा मंडी में गायों की शरणस्थली...आवारा कुत्तों की पनाहगाह और चोर उच्चकों के बैठने की जगह को तोड़ना आरंभ कर दिया गया है...याने नंदलालपुरा में वर्षों से बनी सब्जी मंडी को तोड़ा जा रहा है। यहां पर पार्किंग स्थल भी बनेगा और सब्जी मंडी भी रहेगी लेकिन प्रश्न यह उठता है कि मात्र 15 वर्षों पूर्व बने भवन को क्यों तोड़ना पड़ रहा है? क्या इसके निर्माण में आम जनता का पैसा नहीं लगा था? क्या योजनाकारों को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि दूसरी मंजिल तक लोग पैदल चलकर सब्जी खरीदने नहीं पहुंचेंगे? इतना ही नहीं जब इसका उपयोग होना आरंभ नहीं हुआ तब भी किसी ने इसकी सुध नहीं ली। यहां पर आवारा लोगों को जमावड़ा लगा रहता था और आवारा पशु भी शामिल हो जाते थे। इस भवन का किसी भी तरह से उपयोग नहीं हो पा रहा था। क्या इसे तोड़ते समय 15 वर्ष पूर्व इसे बनाने वाले और खासतौर पर इसकी योजना बनाने वालों को पूछा जाना चाहिए कि भाई किस आधार पर आपने इस तरह का भवन बनाने की योजना बनाई थी...क्या आपने कोई सर्वे किया था या किसी डाटा पर काम किया था। चलो यह सब कुछ ठीक है क्या आपने सब्जीवालों से बातचीत की थी और ग्राहकों से कुछ पूछा था? हमें इसे लेकर प्रश्न उठाना ही चाहिए और जिम्मेदारों को यह पूछना भी चाहिए कि आखिर आपके आकलन का पैमाना क्या था? क्या आपने केवल मांग के आधार पर भवन बना दिया या फिर कोई राजनीतिक मांग के तहत यह सब कुछ किया था। आखिर क्या कारण रहे कि भवन बनने के 15 वर्ष बाद इसे फिर तोड़ा जा रहा है।