स्वरगंध में प्रस्तुत किए मराठी और हिन्दी गीत

इंदौर।  महाराष्ट्र समाज राजेन्द्र नगर परिसर , तरुण मंच एवं आध्यात्मिक साधना मंडल द्वारा शारदोत्सव के अंतर्गत स्वर गंध  शीर्षक से आयोजित संगीतमय संध्या में गायक कलाकार कनकश्री भट्ट और रोहन पटवर्धन ने मराठी और हिन्दी के अनेक लोकप्रिय  गीत , अभंग और भजनों को अपनी मोहक आवाज में प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया । 
राजेन्द्र नगर स्थित जवाहर सभागृह के मुक्ताकाश मंच पर जब दोनों ने अपनी प्रस्तुति प्रारंभ की तो वातावरण में हल्की ठंडक प्रारम्भ हो चुकी थी लेकिन दोनों कलाकार अपनी सुरों की गर्माहट से बडी संख्या में उपस्थित श्रोताओं को आनंदित करते रहे । कार्यक्रम की शुरूआत कनकश्री ने भगवान विठ्ठल की भक्ति में गाए जाने वाले प्रसिद्ध अभंग    सुंदर ते ध्यान उभे विटेवरी के साथ की । संत तुकाराम का यह अभंग लताजी ने गाया हुआ है । इसके पश्चात रोहन पटवर्धन ने सुरेश वाडकर का गाया हुआ प्रसिद्ध मराठी भक्ति गीत ओंकार स्वरुपा सदगुरु समर्था पेश किया । इसके पश्चात कनकश्री ने आशा भोंसले के गाए हुए दो मराठी गीत अपनी मधुर आवाज में गा कर श्रोताओं की दाद बटोरी जिसके बोल थे  ही वाट दूर जाते एवं केव्हां तरी पहाटे उलटून रात गेली । इसके पश्चात रोहन ने प्रसिद्ध अभंग लक्ष्मी वल्लभा दीनानाथा  की प्रस्तुति दी । यह अभंग कुमार गंधर्व से ले कर राहुल देशपांडे तक अपनी आवाज में गा चुके हैं । इसके पश्चात कनकश्री ने प. ह्रदयनाथ मंगेशकार द्वारा स्वरबद्ध और आशा भोंसले ने गाई हुए मराठी गजल चांदण्यात फिरताना की प्रस्तुति दी । आम तौर पर मंचीय कार्यक्रमों में मराठी गजले कम ही गाई जाती है लेकिन आज के कार्यक्रम के लिए कनकश्री ने इसे विशेष रुप से तैयार किया था । इसके बाद पुन: रोहन ने माईक संभाला और दो गीत एक साथ पेश किए जिसके बोल थे कुणी जाल का सुचवाल का ह्या कोकिळा और शुक्रतारा मंदवारा । रोहन के इन दो गीतों की प्रस्तुतियों के बाद कनकश्री ने लताजी के गाए हुए दो हिंदी फिल्मी गीतों की प्रस्तुति दी फिल्म गूंज उठी शहनाई से तेरे सुर और मेरे गीत तथा हकीकत फिल्म से  जरा सी आहट होती है  । इसके बाद रोहन ने प. भीमसेन जोशी के गाए हुए दो अभंगों की प्रस्तुतियां दी तीर्थ विठ्ठल क्षैत्र विठ्ठल एवं इंद्रायणी काठी देवाची आळंदी । इन दोनों अभंगों को रोहन ने अपने अंदाज में गाया जिसे श्रोताओं ने बेहद पसंद किया ।  इसके बाद कनकश्री ने अनुराधा पौडवाल का गाया हुआ एक लोकप्रिय मराठी गीत  रजनीगंधा जीवनी या बहरुनी आले प्रस्तुत किया ।   प्रस्तुतियों का यह सिलसिला दो घंटे से भी अधिक समय तक चला । तबले पर अनूप पंवार , आॅक्टोपैड पर अभिषेक सालके  और की बोर्ड पर रवि सालके ने बेहतरीन संगत दी । कार्यक्रम के पूर्व दिवाली पर आयोजित रंगोली प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार वितरण भी किया गया ।