रहते इंदौर में हो तो क्या हुआ, भीकनगांव जाओ

इंदौर। इन दिनों कलेक्टोरेट से जाति प्रमाण बनाना सबसे मुश्किल काम हो गया है। कारण कि यहां के कर्मचारियों द्वारा अब आवेदनकर्ता को दूसरे जिले का मूल निवासी बताकर आवेदन खारिज करने का काम किया जा रहा है।
ऐसा ही एक मामला शहर के वार्ड क्रमांक 36 के पिपलिया कुमार में रहने वाले कपिल पिता रामप्रसाद मंडलोई का सामने आया है। कपिल द्वारा बीते कई महीनों से कलेक्टोरेट के चक्कर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने नियमों के तहत जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन लगाया था। इसके बाद यहां के कर्मचारियों ने उनका आवेदन खारिज कर दिया और उस पर लिख दिया कि इंदौर जिले के आप मूल निवासी नहीं है। आप खरगोन जिले के भीकनगांव के रहने वाले हैं, इसलिए वहीं से आपका जाति प्रमाण पत्र बनेगा। एक कर्मचारी के आवेदन खारिज किए जाने के बाद मंडलोई द्वारा विभाग में कई मर्तबा आवेदन लगाए गए लेकिन हर बार उनका आवेदन भीकनगांव का मूल निवासी बताकर खारिज कर दिया जाता है। कलेक्टोरेट के कर्मचारियों की इस करनी से परेशान होकर कपिल ने मंगलवार को एसडीएम संदीप सोनी से मुलाकात की और उन्हें कहा कि साहब मैं इंदौर का ही रहने वाला हूं, मेरे पूरा परिवार यही का निवासी है तो फिर मैं क्यों भीकनगांव जाकर जाति प्रमाण पत्र बनवाऊं? पीड़ित की समस्या सुनने के बाद एसडीएम सोनी ने शीघ्र ही न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है।
इतने दस्तावेज दिए कि अधिकारी हैरत में पड़ गए
पीड़ित कपिल द्वारा एसडीएम सोनी के साथ ही अन्य अधिकारियों से मुलाकात की गई थी। वहां पर उन्होंने स्वयं के इंदौर का मूल निवासी होने के सभी तथ्य अधिकारियों के सामने रखे थे। इसमें आधार कार्ड, वोटर कार्ड, बैंक पास बुक के साथ ही पिताजी के नाम से मकान-दुकान की रजिस्ट्री के दस्तावेज भी शामिल हैं। इन सभी दस्तावेजों को देखने के बाद ही अधिकारियों ने यह माना कि वह इंदौर का रहने वाला है। 
कार्रवाई की सुबगुहाट शुरू हुई
इधर जिस कर्मचारी द्वारा पीड़ित के आवेदन को पहली मर्तबा ही खारिज कर दिया गया था उसके खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाई जा सकती है। कारण कि यदि वह ही नियमों के तहत सभी दस्तावेजों को देख लेता तो फिर इतने दिनों तक पीड़ित को परेशान नहीं होना पड़ता। मंडलोई का कहना है कि वह हर हालात में उक्त कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई कराने के लिए प्रयास करेंगे।