अंग्रेजों की जीत का जश्न, हिंसा में 1 की मौत

पुणे। दलित संगठनों द्वारा पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना पर अंग्रेजों की जीत का शौर्य दिवस मनाना महंगा पड़ गया। ग्रामीणों और दलितों के बीच इस बात को लेकर जमकर विवाद हुआ। यह मामला पुणे से 30 किलोमीटर दूर पुणे-अहमदनगर हाइवे पर पेरने फाटा के पास का है। यहां कोरेगांव भीमा, पबल और शिकरापुर गांव के लोगों व दलितों के बीच हिंसक झड़प के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। उपद्रवियों ने 25 से अधिक वाहनों में आग लगा दी। 100 से अधिक वाहनों में जमकर तोड़फोड़ की गई।

पुलिस के अनुसार नए साल के अवसर पर यहां दलित संगठनों द्वारा पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना पर अंग्रेजों की जीत का शौर्य दिवस मनाया जा रहा था। 1 जनवरी 1818 को कोरेगांव भीमा की लड़ाई में पेशवा बाजीराव द्वितीय पर अंग्रेजों ने जीत दर्ज की थी। इसमें कुछ संख्या में दलित भी शामिल थे। अंग्रेजों ने कोरेगांव भीमा में अपनी जीत के बाद यहां जयस्तंभ का निर्माण कराया था। आजादी के बाद यह दलितों का प्रतीक बन गया। हर साल हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग यहां आकर श्रद्धांजलि देते हैं। रिपब्लिक पार्टी आॅफ इंडिया (अठावले) ने कोरेगांव भीमा युद्ध के 200 साल पूरे होने पर कार्यक्रम आयोजित किया था। जिसमें महाराष्ट्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट, बीजेपी सांसद अमर साबले, डिप्टी मेयर सिद्धार्थ डेंडे और अन्य नेता शामिल हुए। 

ग्रामीण इस कार्यक्रम का विरोध कर रहे थे। इस कारण पूरे क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति थी। जिसे देखते ुहुए यहां पहले से ही भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। कार्यक्रम के बाद दोनों पक्षों में विवाद शुरू हो गया। ग्रामीणों ने हाइवे से गजर रहीं गाड़ियां को रोका, उनमें तोड़फोड़ की और आग लगा दी। दोनों ओर से जमकर पथराव भी किया गया। पुलिस के वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया गया। उपद्रव के कारण हाईवे पर कई घंटों तक ट्रैफिक रोकना पड़ा। पुलिस ने कई बार लाठीचार्ज कर लोगों को खदेड़ा लेकिन हंगामा जारी रहा।