गर्भवती पत्नी को निकाला, 22 साल की सजा

बड़ोदा। गुजरात की एक फैमिली कोर्ट ने एक व्यक्ति को 22 साल के कारावास की सजा सुनाई है। इस व्यक्ति ने गर्भवती पत्नी को घर से निकाल दिया था और फिर कोर्ट के आदेश के बावजूद उसे 19 वर्ष गुजारा भत्ता तक नहीं दिया गया। आरोपी मध्यप्रदेश का निवासी है।
खानपुर निवासी सुनीता (बदला हुआ नाम) का विवाह मप्र निवासीा महेश के साथ 1989 में हुआ था। विवाह के 6 माह बाद ही महेश ने पत्नी से झगड़ा कर उसे घर से निकाल दिया था। उस समय सुनीता गर्भवती थी। उसने बेटी को जन्म दिया जो अब 28 वर्ष की हो चुकी है। 1998 में सुनीता ने पति के विरुद्ध कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने महेश को आदेश दिया था कि वह सुनीता को 650 रुपए निर्वाह भत्ता प्रतिमाह दे। कुछ माह तक महेश ने यह राशि सुनीता को दी और उसके बाद अचानक राशि देना बंद कर दिया। इस मामले में सुनीता और उसकी बेटी ने कोर्ट में 11 बार आवेदन दिए। कोर्ट ने हर आवेदन की सुनवाई करते हुए उसे 22 साल के कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने सुनीता व उसकी बेटी के प्रत्येक आवेदन पर उसे अलग-अलग सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी ने कोर्ट द्वारा भेजे गए नोटिसों पर भी कोई ध्यान नहीं दिया। न तो वह स्वयं कोर्ट के समक्ष पेश हुआ और न ही उसकी ओर से वकील ने उपस्थित होकर नोटिस का जवाब दिया। इसलिए अब आरोपी को और अधिक समय नहीं दिया जा सकता।