तेज आवाज के संगीत से गई मगरमच्छ की जान

चैन्नई। वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण से न केवल मानव बल्कि अन्य जीवों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। प्रदूषण बढ़ने की लगातार मिल रही चेतावनियों के बावजूद आम लोग सजग नजर नहीं आ रहे हैं। हाल ही में चैन्नई में हुई एक घटना ने स्थानीय लोगों को झकझोर दिया और वे यह सोचने पर मजबूर हो गए क्या ऐसा भी हो सकता है? चैन्नई के शेरेटन ग्रैंड में पिछले दिनों एक कार्यक्रम में अत्यंत तेज आवाज में संगीत बजाया गया। इस तेज संगीत को दुुर्लभ प्रजाति का मगरमच्छ सहन नहीं कर पाया और सदमे के कारण उसने दम तोड़ दिया। इस होटल के समीप चिड़ियाघर है जहां क्यूबन क्रोकोडाइल भी था। मगरमच्छ की यह प्रजाति वर्ल्ड कन्जर्वेशन यूनियन की लिस्ट में शामिल है अर्थात इस प्रजाति के मगरमच्छ अब बहुत ही कम संख्या में बचे हैं और ऐसे में उनके संरक्षण की जरूरत है। क्रोकोडइल बैंक ट्रस्ट, सेंटर फॉर हरपेटोलॉजी द्वारा फेसबुक पर इस घटना की जानकारी दी गई। जिसमें कहा गया कि इस तेज आवाज के संगीत के कारण होने वाले कम्पन्न से मगरमच्छ ने तनाव में आकर दम तोड़ दिया। होटल परिसर की बाउंड्रीवाल से मगरमच्छ का बाड़ा करीब 50 फीट की दूरी पर था। मद्रास क्रोकोडाइल बैंक के पद्मश्री रोमूलस व्हाईटेकर के अनुसार उन्होंने कुछ माह पहले ही होटल प्रबंधन को इस खतरे की जानकारी दी थी। ऐसे स्थानों पर शाम 6 बजे तक 55 डेसिबल और उसके बाद 45 डेसिबल तीव्रता वाला संगीत ही बजाया जा सकता है लेकिन घटना वाले दिन संगीत की तीव्रता 58 से 140 डेसिबल के बीच थी।