18 साल बाद कोई अधिकारी पहुंचा वहां

नई दिल्ली। मैदानी इलाकों में रहने वाले लोग हर साल लाखों की संख्या में पहाड़ों पर पहुंचते हैं पिकनिक मनाने। पहाड़ों का सौंदर्य निहारते, घूमते हुए बड़ा अच्छा लगता है और फिर लौट कर कई महीनों तक वे सैर-सपाटे की यादें ताजा करते रहते हैं। सैर-सपाटे के दौरान हम कभी यह जानने की कोशिश नहीं करते हैं कि पहाड़ों पर रहने वालों का जीवन कितना कठिन होता है। उत्तराखंड का एक उदाहरण ही काफी होगा कि वहां के कुछ गांवों में 18 साल बाद कोई डीएम (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) पहुंच पाया।
यह क्षेत्र है उत्तरकाशी का सर बडियार पट्टी। इस क्षेत्र में सड़क और संचार सेवाएं तक नहीं हैं। सर बडियार पट्टी में 8 गांव हैं- सर, लेवटाड़ी, डिगाड़ी, पौंटी, गौल, छानिका, किमडार और कस्लौ। गत दिवस इन गांवों के लोगों को जब पता चला कि डीएम आ रहे हैं तो वहां त्यौहार जैसा माहौल हो गया। डीएम पुरोला तहसील की सर बडियार पट्टी पहुंचे तो खुशी से लोगों की आंखें भर आईं। डीएम आशीष चौहान यहां पहुंचने के लिए सुबह 8 बजे पैदल रवाना हुए थे। 4 घंटे तक पहाड़ी रास्तों पर पैदल चलने के बाद वे पट्टी क्षेत्र में पहुंचे। ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों और पुष्पहारों के साथ उनका स्वागत किया। ग्रामीणों ने बताया कि इन 8 गांवों के लिए डीएम से मिलने का ऐसा अवसर 18 साल पहले सितंबर-2001 में मिला था तब डीएम यहां आए थे। उन्होंने कहा कि यहां कभी कोई जनप्रतिनिधि भी नहीं आता है।
दरअसल डीएम वहां आयोजित बहुउद्देश्यीय शिविर में लोगों की समस्याएं सुनने पहुंचे थे। ग्रामीण इतने भावुक हो गए कि समस्याएं ही नहीं बता पाएं। डीएम आशीष चौहान ने लोगों से कई बार पूछा तब जाकर उन्होंने केवल सड़क बनवाने और संचार सेवा उपलब्ध कराने की मांग की। ग्रामीणों ने कहा कि यह दो सुविधाएं मिल गईं तो स्थानीय अस्पताल में डॉक्टर और स्कूल में टीचर्स भी आने लगेंगे। डीएम ने दोनों मांगों को जल्द से जल्द पूरा कराने में हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि अब वे विकास की मुख्य धारा से जुड़ जाएंगे।