पाक में कोर्ट ने सेना और सरकार को फटकार लगाई

पाकिस्तान की एक शीर्ष अदालत ने इस्लामाबाद और अन्य कई शहरों में धरना खत्म करने के लिए कट्टरपंथी धार्मिक समूहों के साथ समझौता करने और इसमें सेना को मध्यस्थता करने का जिम्मा सौंपने को लेकर सरकार और सेना को फटकार लगाई। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच रात में हुए समझौते के तहत पाकिस्तान के कानून मंत्री जाहिक हामिद ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने तीन हफ्ते से चल रहे प्रदर्शन को खत्म कर दिया। इस्लामाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति शौकत अजीज सिद्दिकी ने प्रदर्शन के मामले की सुनवाई की जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा जख्मी हो गए।
प्रदर्शन खत्म करने में विफल रहने के लिए उन्होंने गृह मंत्री एहसान इकबाल के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था। न्यायमूर्ति सिद्दिकी ने सुनवाई के लिए मंत्री के पेश होने में विफल रहने पर नाखुशी जताई और आदेश जारी किया कि उन्हें 15 मिनट के अंदर अदालत के समक्ष पेश होना चाहिए। कुछ समय बाद जब मंत्री पहुंचे तो न्यायाधीश ने राज्य की शक्तियों का इस्तेमाल कर सड़कों से प्रदर्शनकारियों को हटाने के बजाए प्रदर्शनकारियों से समझौता करने के लिए उन्हें फटकार लगाई।
उन्होंने कहा, अदालत ने सरकार से कहा था कि सड़कों से प्रदर्शनकारियों को हटाएं न कि प्रदर्शनकारियों से समझौता कर लें। आपने जो किया है वह आत्मसमर्पण है। मंत्री ने जब कहा कि सेना के सहयोग से समझौता किया गया तो उन्होंने समझौते के लिए मध्यस्थता करने की खातिर सेना के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया।

उन्होंने पूछा, मध्यस्थता में भूमिका निभाने वाली सेना कौन होती है?... कानून किसी मेजर जनरल को ऐसी भूमिका अदा करने की इजाजत कहां देता है? आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ जारी राद उल फसाद अभियान का जिक्र करते हुए न्यायाधीश ने कहा, अब उनका राद उल फसाद कहां है? क्या उन्हें इस प्रदर्शन में कोई फसाद नजर नहीं आता? न्यायाधीश ने कहा कि प्रदर्शनकारी फैजाबाद में धरना नहीं दे सकते अगर यह सेना मुख्यालय के ज्यादा नजदीक होता। उन्होंने कहा कि सेना में अगर कोई राजनीति करना चाहता है तो उसे इस्तीफा देकर राजनीति में आ जाना चाहिए। न्यायाधीश ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा, जो सैनिक राजनीति में दिलचस्पी लेते हैं उन्हें हथियार छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख संस्थान में अधिकारी हैं जो सरकार के अधीन आता है और उन्होंने बार-बार पूछा, क्या वह कानून से ऊपर हैं? समझौते के बारे में न्यायाधीश ने मंत्री से कहा, आपने पुलिस और प्रशासन को शर्मसार किया है। उन्होंने कहा, आप ऐसी छवि बना रहे हैं कि हर बीमारी का इलाज सेना है। न्यायाधीश ने अपने जीवन पर भी खतरा बताया।