भारतीय इंजिनियर की मां ने पाक राष्ट्रपति से गुहार लगाई

अपनी महिला मित्र से मिलने के लिए अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान आए भारतीय इंजीनियर की मां ने राष्ट्रपति ममनून हुसैन से उनके बेटे के सजा की शेष अवधि को माफ करने का आग्रह किया है। हुसैन को लिखे पत्र में हामिद अंसारी की मां ने कहा है, मोहतरम सदर- आपकी हुकूमत ने हामिद अंसारी के मुकाबले ज्यादा संगीन जुर्म करने वाले विदेशी नागरिकों पर भी रहम किया है। पत्र में साथ ही लिखा गया है, अगर हामिद की कैद की बकाया मुद्दत माफ कर सकते तो मानवीय आह्वान सुनने से देश की साख बढ़ती और हिन्दुस्तानी जेलों में कैद पाकिस्तानी अवाम के लिए राहत की उम्मीद और मजबूत होती। उन्होंने कहा कि दोषी ठहराये जाने के पूर्व की तीन वर्ष की हिरासत को अगर सजा में जोड़ दिया जाए तो मानवीय आधार पर उसको रिहा किया जा सकता है और फोन पर उसके परिवार से उसकी बात करायी जा सकती है। भारतीय नागरिक पर एक सैन्य अदालत पर मुकदमा चलाया गया, जिसने उसे तीन साल की सश्रम कारावास की सजा सुनायी। सजा की मियाद 15 दिसंबर, 2015 को शुरू हुई और अगले साल 14 दिसंबर 2018 को खत्म होगी। पेशावर केंद्रीय कारागर में पिछले साल साथी कैदियों के हमले में अंसारी जख्मी हो गया था। अंसारी मुंबई का रहने वाला है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के मुताबिक भारत के एक प्रबंधन संस्थान में सहायक प्रोफेसर रहे अंसारी और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कोहाट की रहने वाली एक लड़की में फेसबुक के जरिये दोस्ती हुई।
जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ता आई ए रहमान के मुताबिक, अपनी दोस्त को संकट में देखकर उसने उसके बचाव का फैसला किया। उसे पाकिस्तान का वीजा नहीं मिल सका, लेकिन वह अफगानिस्तान गया और वहां से बिना वैध दस्तावेजों के पाकिस्तान में प्रवेश किया। उसे 14 नवंबर, 2012 को कोहाट के एक होटल से गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने कहा, इस प्रकार वह पिछले पांच वर्ष से पाकिस्तानी अधिकारियों की हिरासत में है। उस पर अवैध तरीके से पाकिस्तान में घुसने का नहीं बल्कि जासूसी के आरोप लगाये गए और उसे एक सैन्य अदालत ने तीन साल की जेल की सजा सुनाई।
उन्होंने अंसारी की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए कहा, इस बात में कोई संदेह नहीं है कि हामिद अंसारी ने गलती की लेकिन उसके इरादों, प्रेम और संकट में पड़ी महिला की मदद करने की इच्छा उसकी सजा को कम करने के लिए मजबूत परिस्थितियां हैं। वह अपनी भूल की बहुत अधिक सजा भुगत चुका है।